शेयर बाजार डेढ़ माह के निचले स्तर पर आया
शोल्डर ----- इस साल पहली बार सेंसेक्स और निफ्टी में लगातार छह दिन तगड़ी गिरावट
मुंबई, एजेंसी। घरेलू शेयर बाजारों में चौतरफा बिकवाली सोमवार को भी जारी रही और बाजार में लगातार छठे दिन गिरावट दर्ज की गई। कारोबार के दौरान सेंसेक्स 638 अंक लुढ़क गया। निफ्टी भी 219 अंक के नुकसान में रहा। बाजार में आई इस भारी गिरावट से दोनों मानक सूचकांक डेढ़ माह के निचले स्तर पर आ गए हैं। इस साल बाजार में पहली बार लगातार छह दिनों तक कमजोरी देखने को मिली है। सेंसेक्स 638.45 अंक यानी 0.78 प्रतिशत की गिरावट के साथ 81,050 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 962.39 अंक तक लुढ़क गया था। वहीं, निफ्टी भी 218.85 अंक यानी 0.87 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,795.75 अंक पर बंद हुआ। 1 से 7 अक्टूबर के बीच चार कारोबारी सत्रों में सेंसेक्स 3161 अंक टूट चुका है। निफ्टी भी इस दौरान 1300 अंकों का गोता लगा चुका है।
छह सत्रों में 25 लाख करोड़ रुपये डूबे
सेंसेक्स पर सूचीबद्ध कंपनियों का सकल बाजार पूंजीकरण सोमवार को लगभग 461 लाख करोड़ से गिरकर 452 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। यानी निवेशकों को लगभग नौ लाख करोड़ का नुकसान हुआ। बीते छह सत्रों में निवेशकों को लगभग 25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। इसके पहले गुरुवार और शुक्रवार की बिकवाली में निवेशकों को ₹17 लाख करोड़ का नुकसान उठाना पड़ा था।
इन कंपनियों के शेयर टूटे
विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी के बीच एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़ी कंपनियों के शेयरों में बिकवाली से बाजार नीचे आया। सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन, एनटीपीसी, भारतीय स्टेट बैंक, पावरग्रिड, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, टाइटन और अल्ट्राटेक सीमेंट प्रमुख रूप रूप से नुकसान में रहीं। दूसरी तरफ महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईटीसी, भारती एयरटेल, इन्फोसिस, बजाज फाइनेंस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और टेक महिंद्रा में गिरावट रही।
विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अक्तबूर में अब तक 30,719 करोड़ रुपये की तगड़ी बिकवाली की है। सोमवार को उन्होंने आठ हजार करोड़ से अधिक से शेयर बेचे। वहीं, बीते गुरुवार को उन्होंने 15 हजार करोड़ और शुक्रवार को 9,896.95 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। इसके उलट सितंबर में वे 15,423 करोड़ रुपये के विशुद्ध खरीदार रहे थे।
चीन के प्रोत्साहन भारत पर पड़ा भारी
विदेशी संस्थागत निवेशक तेजी से भारत से पैसा निकाल कर चीन के बाजारों में लगा रहे हैं। हाल में चीन सरकार द्वारा उद्योगों और वित्तीय बाजारों को दिया गया प्रोत्साहन पैकेज इसकी वजह है। पिछले सप्ताह के दौरान शंघाई कंपोजिट इंडेक्स 21 प्रतिशत चढ़ चुका है वहीं, हैंगसेंग 15 फीसदी बढ़ा है। पूरी महीने की बात करें तो हैंगसेंग इस दौरान 31 फीसदी बढ़ा है।
गिरावट की प्रमुख वजहें
1. पश्चिम एशिया में बढ़ता तनाव का दायरा
2. चीन के प्रोत्साहन पैकेज का असर
3. विदेशी संस्थागत निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली
4. आरबीआई की नीति में दरें स्थिर रहने की आशंका
5. कंपनियों के नतीजों को लेकर घबराहट
6. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनावी नतीजों के अनुमान
7. कच्चे तेल में उछाल अर्थव्यवस्था के लिए बना चुनौती
गिरावट का आम लोगों पर इस तरह होगा असर
1. पीएफ की ब्याज दरों पर असर संभव
ईपीएफओ अपनी वार्षिक निधि का 15 फीसदी हिस्सा ईटीएफ में निवेश करता है। पीएफ पर ब्याज दर इस पर भी निर्भर होती है। बाजार में तेजी आने पर संगठन का फंड भी बढ़ता है। वहीं, शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने पर फंड भी घट जाता है। इससे ब्याज दरों पर असर संभव है।
2. एनपीएस का मुनाफा घटेगा
राष्ट्रीय पेंशन योजना भी शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न से जुड़ी हुई है। इसका 50 से 70 हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। शेयर बाजार जितना ऊपर जाएगा, खाताधारकों को उतना ज्यादा रिटर्न मिलेगा। इसके उलट बाजार में बड़ी गिरावट होने पर मुनाफे को भी तगड़ा झटका लग सकता है। एनपीएस में सालाना 10 से 12 फीसदी तक औसत रिटर्न मिलता है।
3. बुजुर्गों की पेंशन पर असर
एनपीएस सदस्यों को सेवानिवृत्ति के बाद बीमा कंपनियों से पेंशन एन्यूटी प्लान लेना जरूरी होता है। ये कंपनियां भी शेयर बाजार में निवेश करती हैं। बाजार में गिरावट से एन्यूटी फंड भी तेजी से कम होगा, जिसके परिणामस्वरूप हाथ में आने वाली पेंशन भी कम हो सकती है।
4. उधार लेकर शेयर खरीदने वालों को घाटा
कुछ ब्रोकर निवेशकों को उधार की सुविधा भी देते हैं, जिसे लीवरेज कहते हैं। निवेशक अपनी मूल रकम पर दोगुना या तीन गुना तक उधार लेकर शेयर खरीद सकते हैं। अगर निवेशक के पास 10 हजार रुपये है तो वह लीवरेज लेकर 20 से 30 हजार रुपये तक के शेयर खरीद सकता है। बाजार में बड़ी गिरावट आने पर निवेशक को इसकी भरपाई करनी होती है।
5. कारोबारी गतिविधियां धीमी होंगी
शेयर बाजारों से करीब 7,500 कंपनियां जुड़ी हैं। ये कंपनियां बाजार फंड जुटाती हैं, जिसका इस्तेमाल कारोबार के विस्तार के लिए होता है। लेकिन जब बाजार में बड़ी गिरावट आती है तो कंपनी का बाजार पूंजीकरण तेजी से कम हो जाता है, जिसकी भरपाई के लिए वक्त लग सकता है। ऐसे में कंपनियों की कारोबारी गतिविधियां धीमी हो जाती हैं। इससे कंपनी की कमाई पर सीधा असर पड़ता है।
6. रोजगार के मौके घटेंगे, वेतन-भत्तों पर भी असर
कारोबारी गतिविधि को बनाए रखने के लिए कंपनियां खर्चों में कटौती करती हैं। इसका सीधा असर रोजगार पर पड़ता है और इसके युवाओं के लिए रोजगार के मौके कम हो जाते हैं। वहीं, कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि की उम्मीदों को भी झटका लगता है।
7. रुपया कमजोर होगा, महंगाई बढ़ेगी
शेयर बाज़ार में गिरावट से रुपये का मूल्य भी गिरता है। देश में बनने वाले कई जरूरी सामान के लिए कच्चा माल व कलपुर्जे विदेशों से आते हैं। इनकी कीमत बढ़ने से यहां उत्पादित सामान जैसे दवाइयां, उर्वरक आदि के दाम बढ़ जाते हैं। इससे आम लोगों से लेकर किसान तक सभी प्रभावित होते हैं।
8. अर्थव्यस्था की रफ्तार पर ब्रेक
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ रही है। यदि बाजार में आगे भी बड़ी गिरावट जारी रहती है तो विदेशी निवेशक यहां पैसा लगाने से हिचक सकते हैं। हाल ही में विदेशी निवेशक चीन की तरफ तेजी से आकर्षित हुए हैं। बाजार में गिरावट का इसे भी बड़ा कारण माना जा रहा है। विदेशी निवेशक का यह रुख आगे जारी रहता है तो अर्थव्यवस्था की गति कुछ समय के लिए धीमी पड़ सकती है।
9. सरकार की कमाई घटेगी
शेयर बाजार में निवेश वाले निवेशकों से सरकार को ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी), कैपिटल गेन टैक्स आदि के रूप में भारी राजस्व मिलता है। बाजार में बड़ी गिरावट से निवेशकों की भागादारी कम होगी। इससे सरकार की कमाई कम हो जाएगी।
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