शेयर बाजार में बड़ी गिरावट से दो दिन में 15 लाख करोड़ डूबे
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार गिरावट में रहा। निफ्टी और सेंसेक्स लगातार पांच दिनों तक गिरे, जिसमें सेंसेक्स में 3883 अंकों की गिरावट आई। इस...
मुंबई एजेंसी। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की भारी बिकवाली से भारतीय शेयर बाजारों की तूफानी तेजी पर विराम लग गया है। निफ्टी और सेंसेक्स शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन गिरावट के साथ बंद हुए। बीते चार कारोबारी सत्रों में दोनों सूचकांक बुरी तरह धराशायी हो गए। इस हफ्ते सेंसेक्स में कुल 3883 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। वहीं, निफ्टी भी 1129 नीचे आ गया है। बाजार में मचे इस कोहराम से बीते दो दिनों में निवेशकों को 15 लाख करोड़ रुपये की चपत लगी है। जून 2022 के बाद सबसे खराब हफ्ता
जून 2022 के बाद घरेलू शेयर बाजारों के लिए यह सप्ताह सबसे खराब रहा। बाजार में आई इस बड़ी गिरावट से लगातार तीन हफ्तों की बढ़त भी फिलहाल थम गई है। निफ्टी करीब पांच फीसदी तक फिसलकर 25,000 के स्तर पर आ गया है। यह इसका यह तीन हफ्ते के निचला स्तर है। वहीं, सेंसेक्स भी 30 सितंबर से 4 अक्टूबर के बीच चार प्रतिशत से ज्यादा टूटकर 82000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के नीचे आ गया है। दोनों मानक सूचकांक 27 सितंबर को अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचे थे।
18 लाख करोड़ घटा बाजार पूंजीकरण
इस हफ्ते बाजार में हुई भारी बिकवाली से बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में ₹18 लाख करोड़ की गिरावट आई है। इसमें पिछले दो दिनों में ही निवेशकों को कुल ₹15 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। शुक्रवार को बाजार पूंजीकरण में करीब पांच लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई। इससे पहले गुरुवार को 10 लाख करोड़ की चपत लगी थी।
इन शेयरों में दिखा उतार-चढ़ाव
सेंसेक्स के समूह में शामिल कंपनियों में से महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, एशियन पेंट्स, नेस्ले, भारती एयरटेल, अल्ट्राटेक सीमेंट, हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में सर्वाधिक गिरावट रही। दूसरी तरफ इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, एक्सिस बैंक, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और भारतीय स्टेट बैंक के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए।
छोटी कंपनियों के शेयर भी पिटे
इस दौरान बीएसई की दिग्गज कंपनियों की तरह मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में भी जमकर बिकवाली हुई, जिससे मिडकैप 0.94 प्रतिशत कमजोर होकर 47,906.74 अंक और स्मॉलकैप 0.80 प्रतिशत लुढ़ककर 55,945.31 अंक रह गया। इस दौरान बीएसई में कुल 4054 कंपनियों के शेयरों में कारोबार हुआ, जिनमें से 2387 में गिरावट जबकि 1563 में तेजी रही वहीं 104 में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसी तरह नफ्टिी की 37 कंपनियों में बिकवाली जबकि 13 में लिवाली हुई।
विदेशी निवेशकों ने चार साल की सबसे बड़ी बिकवाली की
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में भारी बिकवाली की है। गुरुवार को छह घंटे में ही उन्होंने 15,243 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। वहीं, पिछले तीन दिनों में एफआईआई 30,614 करोड़ रुपये की भारी बिकवाली कर चुके हैं। यह चार साल में सबसे ज्यादा है। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि दरअसल, एफआईआई भारत के महंगे बाजार की जगह हांगकांग के सस्ते बाजार में पूंजी लगा रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि चीन सरकार के मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से वहां की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
कच्चे तेल की कीमतों को दिखेगा असर
बाजार विश्लेषकों का मानना है कि मध्य पूर्व में बढ़ते संघर्ष से उपजी चिंताओं के मद्देनजर शीर्ष तेल उत्पादक देशों से कच्चे तेल की आपूर्ति में रुकावट आने की आशंका है। माना जा रहा है कि अगर ऐसा हुआ तो तेल की कीमतों में उछाल आएगा और उसका असर भारत जैसे आयातक देशों पर देखने को मिलेगा। भारत पूरी तरह से कच्चे तेल के मामले में दूसरे देशों पर निर्भर है। शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली। डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमत 74.71 डॉलर प्रति बैरल रही, जबकि, ब्रेंट क्रूड की कीमत 78.62 पर पहुंच गई।
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