रुपया 14 पैसे टूटकर 86 पर पहुंचा
रुपया शुक्रवार को 14 पैसे गिरकर 86.0 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर की मजबूती और विदेशी निवेशकों की पूंजी निकासी के कारण यह गिरावट आई। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू बाजार की...
मुंबई, एजेंसी। रुपया शुक्रवार को 14 पैसे टूटकर पहली बार 86.0 (अस्थायी) प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। अमेरिकी डॉलर के मजबूत रुख और विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी पूंजी निकासी से रुपया लगातार दबाव में है। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि विदेशों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक धारणा के कारण भी भारतीय मुद्रा पर दबाव पड़ा। डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में नई सरकार के प्रतिबंधात्मक व्यापार उपायों की आशंका के बीच मांग बढ़ने से डॉलर मजबूत हुआ है।
घर के बजट और निवेश पर असर
इस गिरावट का असर घर के बजट, निवेश पर पड़ेगा। इसका सीधा असर आयात पर पड़ता है। इसमें आयातित सामान, कच्चा माल, कल-पुर्जे शामिल हैं। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता हैं। रुपया गिरने से कच्चा तेल मंगवाना महंगा हो जाएगा। परिवहन लागत बढ़ने से जरूरत के हर सामान के दाम बढ़ने का खतरा रहेगा।
विदेश में पढ़ाई और यात्रा महंगी होगी
अगर आप अपनी या बच्चों की विदेश में पढ़ाई या घूमने की योजना बना रहे हैं, तो डॉलर महंगा होने की वजह से आपके खर्चे भी बढ़ेंगे। रुपये की कमजोरी का मतलब है कि आपको विभिन्न सेवाओं या सामान के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
बाजार, कारोबार और रोजगार पर असर
जो कारोबार आयात पर निर्भर हैं, उनकी बढ़ी लागत मुनाफे कम करेगी। वहीं निर्यात करने वालों का मुनाफा बढ़ेगा। आईटी, फार्मा, और जेम्स एंड जूलरी जैसी कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है। वहीं मुनाफा कम होने से कंपनियां रोजगार कम करने पर भी विचार कर सकती हैं जिससे रोजगार का संकट पैदा हो सकता है।
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