ब्यूरो :::::: सुरक्षित सफर के लिए मेल-एक्सप्रेस में आधुनिक डिब्बे लगेंगे
केंद्र सरकार मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के पुराने लोहे के आईसीएफ कोच को हटाकर आधुनिक एलएचबी कोच लगाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त ने सुझाव दिया है कि सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के...
नई दिल्ली, अरविंद सिंह केंद्र सरकार मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के पुराने लोहे के कोच (आईसीएफ कोच) को हटाकर आधुनिक तकनीक के एलएचबी कोच (लिंक हाफमैन बुश) लगाकर रेल संरक्षा को सुदृढ़ बनाने में जुटी है। इस बीच भारतीय रेल के मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के पीछे कम से कम दो क्रैश वर्थीनेस कोच लगाने की सिफारिश की है।
मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में इंट्रीग्रल कोच फैक्ट्री के पुराने लोहे के कोच लगे हैं। इसके चलते ट्रेन की आमने-सामने की टक्कर अथवा बेपटरी होने पर सबसे अधिक जानमाल का नुकसान होता है। वहीं क्रैश वर्थीनेस सहित अन्य आधुनिक तकनीक से लैस एलएचबी कोच में टक्कर-बेपटरी होने की स्थिति में मृतकों-घायलों की संख्या काफी कम होती है।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने नवंबर 2020 सहित अपनी कई रिपोर्ट में टिप्पणी की है कि रेल हादसा होने पर एलएचबी की अपेक्षाकृत आईसीएफ कोच में मरने की संभावना 98 फीसदी रहती है।
मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त जनक कुमार गर्ग ने रेलवे बोर्ड से कहा है कि सभी मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के पीछे क्रैश वर्थीनेस तकनकी से युक्त कम से कम दो डिब्बे प्राथमिकता के आधार पर लगाने का काम शुरू करें ताकि रेल यात्रियों के सफर को सुरक्षित बनाया जा सके। रेलवे बोर्ड ने अपने जवाब में कहा है कि 500 लोहे के कोच को एलएचबी कोच में परिवर्तित किया जा रहा है। रेलवे में लगभग 35,450 लोहे की आईसीएफ कोच हैं।
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क्या होता है एलएचबी कोच
रेलवे बोर्ड ने 2014 में लोहे की आईसीएफ कोच का उत्पादन पूरी तरह से बंद कर दिया है। रेलवे अब इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) कोच, लिंक हाफमैन बुश (एलएचबी) कोच बना रहा है। आधुनिक जर्मनी तकनीक की एलएचबी कोच ट्रेन की टक्कर होने पर एक दूसरे के ऊपर नहीं चढ़ते हैं। एलएचबी कोच के बाहर की बॉडी स्टील तथा अंदर की एल्युमीनियम की है।
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