भारत की पनडुब्बी परियोजना के लिए जर्मनी-स्पेन में होड़
- प्रोजेक्ट-75आई का हिस्सा बनना चाहते हैं दोनों देश - जर्मन चांसलर के बाद
नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय नौसेना अपने बेड़े में अत्याधुनिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को जल्द से जल्द शामिल करना चाहती है। इसके लिए वर्ष 2021 में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया था। इन पनडुब्बियों का प्रोजेक्ट-75आई के अंतर्गत भारत में निर्माण किया जाना है। जर्मनी और स्पेन दोनों ही इस परियोजना का हिस्सा बनने की होड़ कर रहे हैं। जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज हाल में भारत का दौरा कर चुके हैं। अब स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज भी भारत पहुंच चुके हैं। रक्षा सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं ने प्रोजेक्ट-75आई को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।
क्या है प्रोजेक्ट-75आई
- 43,000 करोड़ रुपए की लागत से छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाएगा
- स्वदेशी पनडुब्बी के लिए भारतीय नौसेना की 30 वर्षीय योजना का हिस्सा
- कंपनी को भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण तकनीक ट्रांसफर के साथ करना होगा
खास होंगी पनडुब्बियां
- अत्याधुनिक एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (एआईपी) प्रणाली से लैस
- लंबे समय तक बैकअप देने वाली लिथियम-आयन बैटरी लगी होगी
- 12 दिनों तक लगातार पानी के नीचे रहने में सक्षम होंगी
- स्टील्थ तकनीक होने से दुश्मन की नजर से दूर रहेगी
- परमाणु हथियारों से लैस किया जा सकेगा
इन कंपनियों से चल रही बात
1. जर्मन पनडुब्बी निर्माता कंपनी थिसेनक्रुप मरीन सिस्टम्स (टीकेएमएस) अनुबंध हासिल करने की उम्मीद कर रहा है। टीकेएमएस ने भारत को अपनी 214-क्लास की पनडुब्बियों की पेशकश की है। टीकेएमएस की 214-क्लास की पनडुब्बियों में एआईपी तकनीक पहले से ही लगी हुई है। इसकी युद्ध क्षमता का परीक्षण भी किया जा चुका है।
2. स्पेन ने भारत को एआईपी तकनीक से लैस एस-80 क्लास स्टील्थ पनडुब्बियों देने की पेशकश की है। इन पनडुब्बियों का निर्माण स्पेन की कंपनी नवंतिया ने किया है। कंपनी इन पनडुब्बियों की खरीद करने पर भारत को तकनीक ट्रांसफर करने को भी तैयार है।
कहां तक बनी बात
भारतीय नौसेना ने टीकेएमएस और नवंतिया द्वारा पेश की गई एआईपी प्रणाली के परीक्षण पूरे कर लिए हैं। निरीक्षण दल अब एक तकनीकी रिपोर्ट बना रहा है जिसे नौसेना मुख्यालय को प्रस्तुत किया जाएगा। इस संबंध में टीकेएमएस ने सरकारी कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) के साथ समझौता किया है, जबकि नवंतिया ने निजी कंपनी लार्सन एंड टूब्रो (एलएंडटी) के साथ समझौता किया है।
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