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ऑपरेशन सिंदूर : टेरिटोरियल आर्मी को भी तैयार रहने के निर्देश

रक्षा मंत्रालय ने सेना की सहायता के लिए एक अधिसूचना जारी की है, जिसके तहत सेना अब टेरिटोरियल आर्मी को आवश्यकता पड़ने पर बुला सकेगी। सेना प्रमुख को 14 बटालियनों को सक्रिय करने का अधिकार मिला है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 9 May 2025 03:35 PM
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ऑपरेशन सिंदूर : टेरिटोरियल आर्मी को भी तैयार रहने के निर्देश

नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्रालय ने सेना की सहायता के लिए एक अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार, अब सेना आवश्यकता पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी को सहायता के लिए बुला सकेगी। अधिसूचना जारी होते ही सेना प्रमुख को यह अधिकार मिल गया है कि वे टेरिटोरियल आर्मी को सैन्य कार्रवाई में अपनी जरूरत के अनुसार शामिल कर सके। 14 बटालियनों को सक्रिय किया टेरिटोरियल आर्मी के एक्टिव सर्विस में बुलाने का अधिकार आर्मी चीफ के पास होता है। 14 बटालियनों को एक्टिव किया गया है। टेरिटोरियल आर्मी में शामिल सैनिक, ऑफिसर, डॉक्टर, वकील और व्यापारी होते हैं। इन्हें ट्रेनिंग आर्मी ट्रेनिंग कमांड की निगरानी में दी जाती है।

सेना की जरूरत पड़ने पर इन्हें सीमाओं पर तैनात किया जा सकता है। क्या होती है टेरिटोरियल आर्मी टेरिटोरियल आर्मी भारत की एक अर्धसैनिक बल (पार्ट टाइम वॉलंटियर फोर्स) है, जो सेना की सहायता करती है। यह उन नागरिकों के लिए है जो अपनी सामान्य नौकरियों या व्यवसाय के साथ-साथ देश सेवा भी करना चाहते हैं। ये केवल जरूरत के समय (जैसे युद्ध, आपदा, आंतरिक सुरक्षा) में एक्टिव की जाती है। इसमें भर्ती होने वाले व्यक्ति आम नागरिक होते हैं जो अपने प्रोफेशनल करियर के साथ-साथ सैनिक के रूप में भी सेवा देते हैं। यह नियमित सेना का हिस्सा नहीं है, लेकिन उसे सहायता देने का कार्य करती है। खास बातें विशेषता विवरण स्थापना वर्ष 1949 सेवा का प्रकार जब आवश्यकता हो तब सक्रिय कर्मचारी कौन 18-42 वर्ष के बीच के स्वस्थ नागरिक (पेशेवर, सरकारी कर्मचारी, व्यापारी आदि) प्रशिक्षण हर साल कुछ सप्ताह का सैन्य प्रशिक्षण देना होता है पहले भी काम आई है टेरिटोरियल आर्मी - 1962, 1965 और 1971 के युद्धों में इस्तेमाल - चीन (1962) और पाकिस्तान (1965, 1971) के साथ हुए युद्धों में टेरिटोरियल आर्मी की यूनिट को एक्टिव ड्यूटी पर बुलाया गया था। इन्हें सीमाओं की रक्षा, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट, और रिजर्व बल के तौर पर लगाया गया था। - 1999 कारगिल युद्ध के दौरान कुछ यूनिट को लॉजिस्टिक सपोर्ट, गोला-बारूद ढोने और अन्य सहायक कार्यों में तैनात किया गया था। टेरिटोरियल आर्मी के बड़े नाम 1. महेंद्र सिंह धोनी (क्रिकेटर): भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने 2011 में टेरिटोरियल आर्मी की पैराशूट रेजिमेंट में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक में जॉइन किया था। 2. सचिन पायलट (राजनेता): कांग्रेस नेता टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन हैं। वे 2012 में शामिल हुए थे। पायलट पहले ऐसे सांसद हैं, जो टेरिटोरियल आर्मी में सेवारत अधिकारी बने। पायलट ने इसके लिए बाकायदा परीक्षा दी और ट्रेनिंग ली। 3. कपिल देव (क्रिकेटर): 2008 में टेरिटोरियल आर्मी में शामिल किया गया। लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई थी। 4. अनुराग ठाकुर (राजनेता): केंद्रीय मंत्री को भी 2016 में टेरिटोरियल आर्मी में कमीशन मिला। वे देश के पहले ऐसे सांसद हैं, जिन्हें आर्मी में नियमित अधिकारी के तौर पर शामिल किया गया। ठाकुर को लेफ्टिनेंट की रैंक दी गई थी।

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