साल दर साल मजबूत हो रहा है संसदीय लोकतंत्र
भारत में पहले आम चुनाव 1951-52 की तुलना में 2024 में राजनीतिक दलों की संख्या 14 गुना और उम्मीदवारों की संख्या 5 गुना बढ़ी है। हालांकि, 2024 में 86% उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। पंजीकृत मतदाताओं की...

- पहले आम चुनाव से लेकर अब तक दलों और उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी - चुनाव में जमानत गंवाने वाले उम्मीदवारों की संख्या दो गुना से भी अधिक बढ़ी।
प्रभात कुमार
नई दिल्ली।
आजादी के बाद देश में लगातार लोकतंत्र की जड़े गहरी होती जा रही है। इसका अंदाजा, इस बात से लगाया जा सकता है कि 1951-52 हुए देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव की तुलना में 2024 के चुनाव में जहां भाग लेने वाले राजनीतिक दलों की संख्या में लगभग 14 गुना बढ़ोतरी हुई है, वहीं उम्मीदवारों की संख्या में 5 गुना की बढ़ोतरी हुई है। इसका खुलासा, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में 1951-52 के चुनाव से लेकर 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के आंकड़ों के विश्लेषण से हुआ है।
भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक 1951-51 में हुए चुनाव में कुल 53 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया था। जबकि 2024 के चुनाव में 743 राजनीतिक दलों ने हिस्सा लिया। इसमें 6 राष्ट्रीय, 47 राज्य स्तरीय और 690 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने चुनाव में भाग लिया। यानी 1951-52 की तुलना में चुनाव में भाग लेने वाले राजनीतिक दलों की संख्या में 14 गुना की बढ़ोतरी हुई। 1951-52 के लोकसभा चुनाव में 14 राष्ट्रीय और 39 राज्य स्तरीय मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने चुनाव में भाग लिया था।
उम्मीदवारों की संख्या में 5 गुना की बढ़ोतरी
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक देश में पहले चुनाव की तुलना में, 2024 में उम्मीदवारों की संख्या में लगभग 5 गुना बढ़ोतरी हुई। 1951-52 में 1874 उम्मीदवारों ने चुनाव में भाग लिया था, जबकि 2024 में 8360 उम्मीदवारों ने चुनाव में शामिल हुए। इनमें से 6 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों से 1,334 उम्मीदवार, 47 राज्य स्तरीय पार्टी से 435 उम्मीदवार, 690 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों 2,670 उम्मीदवारों के साथ 3921 निर्दलीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इसमें गौर करने वाली बात है कि 1951-52 में लोकसभा के 489 सीटों के लिए चुनाव हुए थे और 2024 में 543 सीटों के लिए।
लोकसभा चुनाव में 86 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के 1951-52 की तुलना में 2024 के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की संख्या में भले ही 5 गुना बढ़ोतरी हुई है, लेकिन 86 फीसदी उम्मीदवार अपना जमानत बचाने में नाकामयाब रहे। आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में कुल 8360 उम्मीदवारों में से 7190 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। जबकि 1951-52 में हुए चुनाव में कुल 1874 उम्मीदवारों में से 745 यानी 40 फीसदी की जमानत जब्त हुई थी। 2024 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय दलों के 584, राज्य स्तरीय पार्टी में 68, पंजीकृत गैर मान्यता पार्टी के 2633 और निर्दलीय 3905 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। कानून के मुताबिक कुल वैध मतों का 6 वां हिस्सा प्राप्त करने में विफल रहने वाले उम्मीदवारों की जमानत राशि जब्त हो जाती है। लोकसभा के चुनाव में फिलहाल सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए 25 हजार और अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के लिए 12500 रुपये जमानत राशि है। 1951 में जमानत राशि 500 रुपये थी।
जनसंख्या में 4 गुना और मतदाता में 5 गुना से अधिक बढ़ोतरी
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से मुताबिक देश में पहले चुनाव की तुलना में 2024 के चुनाव तक पंजीकृत मतदाताओं की संख्या में 5.6 गुना की बढ़ोतरी हुई है। जबकि जनसंख्या में 4 गुना बढ़ोतरी हुई। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1951-52 में हुए लोकसभा चुनाव के देश में कुल मतदाताओं की संख्या 17 करोड़ 32 लाख 13 हजार 635 था। उस वक्त देश की कुल जनसंख्या 36 करोड़ 10 लाख 88 हजार थी। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश में कुल 97 करोड़ 97 लाख 51 हजार 847 पंजीकृत मतदाता थे। जबकि देश में लगभग 145 करोड़ जनसंख्या है। हालांकि 1951 में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने की उम्र 21 साल थी। जबकि अभी 18 साल है।
पढ़े-लिखे सांसदों की संख्या बढ़ी
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक देश में शिक्षित सांसदों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। 1951-52 के चुनाव में चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले 37.11 फीसदी स्नातक तक पढ़े थे, जबकि 17.82 फीसदी पोस्ट ग्रेजुएट और 3.6 फीसदी पीएचडी थे। साथ ही, 23.40 दसवीं से कम पढ़े लिखे थे, जबकि 18 फीसदी दसवीं या इंटरमीडिएट तक पढ़े था। जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव में 77 फीसदी सांसद स्नातक या इससे अधिक पढ़े हैं। इसी तरह 2024 में चुनाव जीतने वाले 19 फीसदी सांसद 5 वीं कक्षा से लेकर 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त है।
2024 में सांसदों की औसत आयु 56 साल, 1951-51 में थी 46.5 साल
देश की पहली संसद युवा थी, जबकि अब उम्रदराज हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक देश के पहले चुनाव 1951-51 में चुनाव जीतकर संसद पहुंचने वाले सांसदों की औसत उम्र 46.5 साल थी। कुल 82 सांसद 35 वर्ष से कम आयु के थे यानी लगभग हर छठा सांसद 35 वर्ष से कम आयु का था। इसी तरह 2024 में चुनाव जीतने वाले सांसदों की औसत आयु 56 साल है। 18वीं लोकसभा में हर 20वां सांसद 35 वर्ष से कम आयु का है।
डॉलर के मुकाबले रुपये
वर्ष 1949 में एक अमेरिकी डॉलर 4.76 रुपये के बराबर होता था। लेकिन 2024 में यह 1 डॉलर भारत के 86.96 रुपये के बराबर है।
महंगाई दर
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