आर्थिक सर्वेक्षण :: स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च बढ़ने से लोगों को 1.25 लाख करोड़ की बचत हुई
आर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार का दावा किया गया है। आयुष्मान भारत और अन्य योजनाओं के चलते सरकारी स्वास्थ्य खर्च 29% से बढ़कर 48% हो गया है। इससे लोगों के खर्च में कमी आई, जिससे 1.25...
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। आर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य क्षेत्र की सुनहरी तस्वीर पेश करते हुए दावा किया गया है कि आयुष्मान भारत और अन्य योजनाओं के चलते स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारी खर्च में बढ़ोतरी हुई है। इसके परिणामस्वरूप लोगों के जेब से होने वाले खर्च में भारी कमी आई है। इससे लोगों को सवा लाख करोड़ की बचत हुई। वित्त वर्ष 2015-2022 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकार की हिस्सेदारी 29 फीसदी से बढ़कर 48 फीसदी तक पहुंच गई। 2022 में स्वास्थ्य पर कुल अनुमानित व्यय 9.04 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जीडीपी का 3.8 फीसदी है। इसे यदि वर्तमान मूल्यों पर देखें तो यह प्रति व्यक्ति 6602 रुपये होता है। 2019 से प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर बढ़ोतरी का भी रुझान देखा गया है लेकिन सरकारी हिस्सेदारी बढ़ने के कारण लोगों को फायदा हुआ और लोगों के पल्ले से खर्च होने वाली धनराशि की बचत हुई है।
आयुष्मान भारत ने निचले तबकों का राहत दी
रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमजेएवाई (आयुष्मान भारत) ने सर्वाधिक संवेदनशील आबादी के निचले 40 फीसदी तबके को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 15 जनवरी तक 40 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को योजना के तहत पंजीकृत किया जा चुका है। अन्य योजनाओं में मुफ्त डायलिसिस योजना से करीब 25 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं। आयुष्मान आरोग्य मंदिरों के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल, जांच और बीमारियों से बचाव की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा रही है। इसके अलावा 14 हजार जन औषधि केंद्रों के जरिये लोगों को सस्ती दवाएं मिल रही हैं।
एआई का इस्तेमाल किया जाएगा
आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि भारत में स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपनाने की तैयारियां चल रही हैं। 2023 में भारत में 34 प्रतिशत स्वास्थ्य देखरेख संस्थान एआई परियोजनाओं का परीक्षण कर रहे थे और 16 प्रतिशत ने इसका इस्तेमाल भी करना आरंभ कर दिया था।
प्रौद्यौगिकी से पहुंच आसान
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत अब तक 72.81 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य खाते बनाए गए हैं।
- ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा के जरिए 31.19 करोड़ से अधिक मरीजों को सेवाएं प्रदान की गई हैं।
- यू-विन पोर्टल पर 1.7 करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं और 5.4 करोड़ बच्चों को डिजिटल रूप से पंजीकृत किया गया है।
- उन्हें ट्रैक करके 26.4 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक दी गई हैं। 2024 में टीकाकरण का कवरेज 93.5 फीसदी तक पहुंच चुका था।
- दूरदराज के इलाकों में जीवनक्षक दवाएं और टीके पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया गया है।
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