एलएसी पर डेपसांग-डेमचोक में सेनाओं की वापसी पूरी
भारत-चीन के जवानों ने चार वर्ष बाद एक-दूसरे का मुंह मीठा करने का निर्णय लिया है। पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की सेनाओं ने डेपसांग और डेमचोक से पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। 31 अक्टूबर को...
- भारत-चीन के जवान चार वर्ष बाद आज एक-दूसरे का मुंह मीठा करेंगे --
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दो स्थानों डेपसांग और डेमचोक से भारत-चीन की सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया बुधवार शाम को पूरी हो गई है। अब जल्द पूर्व की भांति दोनों जगहों पर गश्त शुरू की जाएगी। इससे पहले 31 अक्तूबर को दीपावली के दिन दोनों देशों के जवान एक-दूसरे का मुंह मीठा करेंगे।
भारत-चीन के बीच पिछले दिनों हुए समझौते के तहत महीने के आखिर तक सेनाओं के पीछे हटने का लक्ष्य रखा गया था। सोमवार को विदेश सचिव ने समझौते का ऐलान किया था और मंगलवार से सेनाओं ने पीछे हटना शुरू कर दिया था। यह कार्य तय समय के अनुसार पूरा हो गया है। समझौते के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कजान में हुई बातचीत भी इसके तेजी से क्रियान्वयन में कारगर रही।
एरियल सर्वे आज पूरी होने की उम्मीद
सेना के सूत्रों ने बुधवार को कहा कि दोनों स्थानों पर सेनाएं पीछे हट चुकी हैं। यानी वे अप्रैल 2020 में जिन स्थानों पर थी, वहीं पर वापस पहुंच चुकी हैं। सेनाओं के पीछे हट जाने के बाद दोनों पक्ष इसकी पुष्टि कर रहे हैं, इसके लिए एरियल सर्वे होता है। यह प्रक्रिया भी गुरुवार को पूरी होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों देशों की सेनाओं के स्थानीय कमांडरों द्वारा बातचीत कर पेट्रोलिंग के तौर-तरीके निर्धारित किए जाएंगे। जिसके बाद इसकी शुरुआत होगी। सेना ने इसकी कोई तिथि नहीं बताई है लेकिन एक-दो दिनों के भीतर इसकी शुरुआत होने की संभावना है। स्थानीय कमांडर आमतौर पर ब्रिगेडियर से नीचे कर्नल स्तर के अधिकारी होते हैं।
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सात बिंदुओं पर था टकराव
कुल सात बिंदुओं पर टकराव उत्पन्न हुआ था, जिनमें से गलवान, पैंगौंग लेक उत्तर, पैंगौंग लेक दक्षिण, हॉट स्प्रिंग तथा गोगरा से सेनाएं पहले ही पीछे हट चुकी थीं।
शेष पांच स्थानों पर होनी है गश्त
शेष पांच स्थानों पर भी पेट्रोलिंग शुरू होनी है लेकिन वह इस समझौते का हिस्सा नहीं है। उसके लिए अलग से भारत-चीन के बीच वार्ता चल रही है।
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आगे क्या :
- अब अप्रैल 2020 की भांति डेपसांग और डेमचोक पर जल्द गश्त शुरू की जाएगी। स्थानीय कमांडर बातचीत कर गश्त के तौर-तरीके तय करेंगे।
- एक और बड़ा कदम डेपसांग और डेमचोक से सेनाओं में कटौती है। दोनों देशों की सेनाएं अपनी पुरानी जगहों पर लौट चुकी हैं लेकिन वहां पर 50-50 हजार सेनाएं मौजूद हैं। चरणबद्ध तरीके से इसमें कटौती करनी होगी। इसके लिए अगल से दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू होगी।
- क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाओं की कई स्थानों पर नई पोस्टें बन चुकी हैं, उनको भी हटाना होगा।
- यही समूची प्रक्रियाएं आगे शेष पांच स्थानों के बारे में भी अपनानी होंगी।
विशेषज्ञ की टिप्पणी
डेपसांग और डेमचोक से सेनाओं की वापसी बेहद सकारात्मक कदम है। इससे शेष मुद्दों के समाधान का रास्ता खुल गया है। लेकिन अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति बहाली के लिए दोनों देशों की सेनाओं को अभी बहुत काम करना होगा, जिसमें समय लगेगा। टकराव पूरी तरह से खत्म तब माना जाएगा जब अतिरिक्त सेनाएं एलएसी से वापस लौटेंगी।
- लेफ्टिनेंट जनरल राजेंद्र सिंह (सेवानिवृत्त)
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