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छह बैंकों ने आवास ऋण की ब्याज दरें घटाईं

भारतीय बैंकों ने आवास ऋण की ब्याज दरों में कमी की है, जिससे ग्राहकों को राहत मिली है। केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, और अन्य प्रमुख बैंकों ने ब्याज दरें घटाई हैं। इससे फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 13 Feb 2025 05:01 PM
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छह बैंकों ने आवास ऋण की ब्याज दरें घटाईं

नई दिल्ली, एजेंसी। मकान खरीदने वालें लोगों के लिए राहत देने वाली खबर है कि देश के कई प्रमुख बैकों ने अपने आवास ऋण पर वसूली जाने वाली ब्याज दरों में कमी कर दी है। ब्याज दर घटाने वाले बैंकों में केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक शामिल हैं। अब इन सभी बैंकों से फ्लोंटिग दर पर आवास कर्ज लेने वालों को इस कटौती का फायदा मिलेगा। इस बदलाव के चलते आवास ऋण की मासिक किस्त कम हो सकती है या ग्राहक चाहे तो ऋण की अवधि को घटा सकता है। गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी महीने सात फरवरी को अपनी दो दिवसीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद में रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की। अब यह दर घटकर 6.25 फीसदी हो गई है। रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट वह दर होती है, जिस पर बैंक ग्राहकों को लोन देते हैं। यह सीधे आरबीआई की रेपो दर से जुड़ी होती है। जो ग्राहक आरएलएलआर से जुड़े आवास ऋण का विकल्प लेते हैं, उनकी ब्याज दर आरबीआई की रेपो दर में बदलाव के हिसाब से घटती या बढ़ती है। आवास ऋण में ज्यादातर ग्राहक फ्लोटिंग दर का विकल्प चुनते हैं, जो आरएलएलआर से जुड़े होती है। आरएलएलआर में कटौती के बाद बैंक ग्राहकों को मासिक किस्त घटाने या फिर कर्ज की अवधि कम कराने का विकल्प देते हैं।

क्या अब होम लोन लेना सही रहेगा

अगर आप होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह आपके लिए अच्छा मौका हो सकता है क्योंकि ब्याज दरों में कटौती के बाद आपको उतने ही लोन के लिए कम किस्त देनी पड़ेगी। इसके अलावा बैंक अक्सर नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए और बेहतर शर्तों के साथ ऋण की पेशकश करते हैं।

पुराने और नए ग्राहकों पर क्या होगा असर

आरएलएलआर में कटौती का असर पुराने और नए ग्राहकों पर अलग-अलग होता है। नया आवास ऋण लेने वालों को ब्याज दरों में कटौती का लाभ फौरन मिल जाएगा लेकिन पुराने ग्राहकों को इसका फायदा तभी मिलेगा जब उनकी ब्याज दर संशोधित करने का फैसला बैंक का बोर्ड करेगा। आम तौर पर बैंक तीन महीने या छह महीने में एक बार ऐसा करते हैं।

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