पीएफ कोष को पेंशन में बदलने का विकल्प संभव
केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा के तहत सेवानिवृत्तों को अधिक पेंशन देने के विकल्पों पर विचार कर रही है। ईपीएफओ सदस्यों को पेंशन अंशदान बढ़ाने का विकल्प दिया जाएगा, जिससे वे सेवानिवृत्ति के समय पीएफ कोष...
- केंद्र सरकार सामाजिक सुरक्षा के तहत सेवानिवृत्त के बाद ज्यादा पेंशन देने के विकल्पों पर कर रही विचार - सेवानिवृत्त के बाद पीएफ कोष में जमा धनराशि को पेंशन के तौर पर कर पाएंगे परिवर्तित, पेंशन समय भी कर पाएंगे निर्धारित
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता
केंद्र सरकार सेवानिवृत्त के बाद बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा के तहत व्यापक लाभ दिए जाने के विकल्पों पर विचार कर रही है। सरकार की कोशिश है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) से जुड़े सदस्यों को पेंशन अंशदान बढ़ाने का विकल्प दिया जाए, जिससे सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को ज्यादा पेंशन मिल सके। नए प्रावधानों के तहत कई तरह की सुविधाएं दिए जाने का प्रस्ताव है। संभावना जताई जा रही है कि आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में भी सरकार सामाजिक सुरक्षा को लेकर ऐलान कर सकती है।
सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार के निर्देश पर श्रम एवं रोजगार मंत्रालय पहले से सामाजिक सुरक्षा योजना का दायरा बढ़ाने के विकल्पों पर काम कर रहा है। नए विकल्पों के तहत श्रमिकों को कई तरह की सुविधाएं दी जाएंगी। ईपीएफओ से जुडे श्रमिक पीएफ कोष में जमा धनराशि को सेवानिवृत्ति के समय पेंशन के तौर पर परिवर्तित कर सकेंगे। इसका मतलब है कि सेवानिवृत्ति के समय किसी कर्मचारी को लगता है कि उसे बुढ़ापे में पेंशन अधिक चाहिए तो वह कोष में जमा धनराशि को पेंशन कोष में डाल सकता है। इससे पेंशन के तौर पर मिलने वाली धनराशि बढ़ जाएगी। इसी तरह से अगर किसी कर्मचारी को सेवानिवृत्ति के समय लगता है कि उसके पास आय के अन्य विकल्प हैं और उसे 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने पर पेंशन नहीं चाहिए। बल्कि वह पेंशन को 60-65 या अन्य किसी उम्र से शुरू करना चाहता है तो यह विकल्प भी प्रदान किया जाएगा। ऐसे में पेंशन कोष में जमा धनराशि पर सालाना ब्याज जुड़ता रहेगा और जिस उम्र से शुरू करना चाहेगा, उससे उसी हिसाब से पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
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पीएफ खाते में एकमुश्त धनराशि जमा कराने की व्यवस्था
मंत्रालय चाहता है कि ईपीएफओ सदस्यों को नियमित निर्धारित मासिक अंशदान के अतिरिक्त एकमुश्त धनराशि अपने खाते में डालने की अनुमति दी जाए। इस विकल्प पर बीते काफी समय से चर्चा चल रही है लेकिन अब काफी स्तर पर सहमति बनती दिखाई दे रही है। अगर, ऐसी सुविधा प्रदान कर दी जाती है तो उससे पीएफ खाते में ज्यादा अंशदान जमा हो सकेगा। इससे सामाजिक सुरक्षा के तहत कर्मचारियों को ज्यादा फंड अपने खाते में रखने और सेवानिवृत्त होने पर ज्यादा पेंशन मिल सकेगी। इसके पीछे तर्क है कि काफी लोग होते हैं, जिनके पास बचत होती है लेकिन वो बैंकों में एफडी इसलिए नहीं कराते हैं कि वहां पर सालाना ब्याज सात प्रतिशत या उससे कम ही मिलता है। जबकि पीएफ खाते में जमा धनराशि पर सवा आठ फीसदी से अधिक का ब्याज मिलता है। ऐसे में अगर एकमुश्त जमा की सुविधा दी जाती है तो उससे लोग भविष्य की सुरक्षा के लिए ईपीएफ खाते में पैसा डालना शुरू करेंगे। सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में वित्त मंत्रालय से भी चर्चा की गई है कि वो ऐसे अंशदान पर आयकर छूट सीमा का भी लाभ दे, जिससे कि लोग अंशदान के तौर पर एकमुश्त पैसा डालने के प्रति प्रोत्साहित हो सकें।
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आईटी सिस्टम में बदलाव के साथ ही चल रहा दायरा बढ़ाने पर विचार
मौजूदा समय में ईपीएफओ के सिस्टम को बैंकिंग की तरह बनाने पर काम चल रहा है। आईटी सिस्टम 3.0 के जून में पूरा होने की संभावना है, जिससे लोगों को बैंकिंग जैसी सुविधा मिलने लगेगी। इसके साथ ही, सरकार सामाजिक सुरक्षा के तहत लाभों को बढ़ाने से जुड़े विकल्पों पर भी काम कर रही है, जिसका ऐलान बजट या फिर उसके बाद भी किया जा सकता है। इसको लेकर ईपीएफओ, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के बीच नियमित तौर पर चर्चा जारी है।
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