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क्रोम बिका तो स्क्रीन पर डिफॉल्ट नहीं दिखेगा सर्च

-बदल जाएगा इंटरनेट इस्तेमाल करने का तरीका नई दिल्ली, शौविक दास। गूगल पर उसके

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 24 Dec 2024 03:49 PM
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नई दिल्ली, शौविक दास। गूगल पर उसके सबसे लोकप्रिय ब्राउजर क्रोम को बेचने का दबाव बनाया जा सकता है। ऐसा हुआ तो दुनियाभर में इंटरनेट एक्सेस करने का तरीका बदल सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कंप्यूटर स्क्रीन पर ‘सर्च डिफॉल्ट रूप में उपलब्ध नहीं रहेगा।

दरअसल, इस साल अगस्त में अमेरिका की एक अदालत ने कहा कि गूगल ऐंटीट्रस्ट लॉ यानी अविश्वास कानून का उल्लंघन कर रही है। संघीय न्यायाधीश ने कहा था कि गूगल ने खुद को दुनिया का डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाने और मोनोपॉली के लिए अरबों डॉलर खर्च किए हैं। कोर्ट का यह फैसला कंपनी में संभावित सुधारों को तय करने का रास्ता साफ करता है। इसमें गूगल पैरेंट अल्फाबेट का विघटन भी शामिल हो सकता है।

अगले साल होगा फैसला

अगले साल अप्रैल में गूगल और अमेरिकी न्याय विभाग इस संबंध में एक उपाय खोजेंगे। इसके बाद अगस्त में अमेरिकी अदालत इस संबंध में अपना अंतिम फैसला सुना सकती है। अमेरिका में विनियामकों ने गूगल को एप्पल और मोजिला जैसी कंपनियों के साथ सौदे करने से रोकने के लिए मजबूर करने का प्रस्ताव दिया है, जबकि गूगल के सरकारी मामलों के अध्यक्ष केंट वॉकर ने इसका विरोध किया है।

भारत में भी लगे थे आरोप

जनवरी 2022 में भारत में समाचार प्रकाशकों के एक समूह ने गूगल पर गंभीर आरोप लगाए थे। इसमें गूगल पर सर्च इंजन के जरिये विज्ञापन से गलत तरीके से कमाई करने का आरोप लगा था। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने इस मामले में जांच की थी, जिसका फैसला जल्द आ सकता है। इस दौरान मोबाइल एप्लिकेशन मार्केटप्लेस और ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रभुत्व का गलत इस्तेमाल करने को लेकर गूगल पर 27 करोड़ डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया था। भारत का यह फैसला अमेरिका और यूरोप द्वारा की जा रही सख्ती के अनुरूप था। हालांकि, ये सभी फैसले अभी भी न्यायालय में विचाराधीन हैं और गूगल ने भारत में भी इनके खिलाफ अपील की है।

गूगल के लिए सर्च और क्रोम बेहद जरूरी

राजस्व के मामले में सर्च और क्रोम गूगल के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद है। सितंबर तिमाही तक सर्च और संबंधित उत्पादों ने कंपनी को 49.4 अरब डॉलर की कमाई करके दी। इस बीच, सितंबर तक 68 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ क्रोम दुनिया का सबसे बड़ा वेब ब्राउजर बना हुआ है। गूगल के लिए इन दो व्यवसायों को कानूनी झमेलों से बचाना बेहद जरूरी है।

कोई भी सर्च इंजन चुन सकेंगे यूजर

यह इसलिए जरूरी है ताकि क्रोम पर सर्च एकमात्र विकल्प न रहे। इसका मतलब है कि उपयोगकर्ता कोई भी सर्च इंजन चुन सकते हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सर्च अपने प्रतिस्पर्धियों एप्पल और सैमसंग के सर्च इंजनों की तुलना में अधिक उपयोगी है।

भारत में सर्च इंजन की स्थिति

तीन साल पहले, गुजरात स्थित क्यूमामू ने खुद को गूगल के प्रतिद्वंद्वी के रूप में ‘मेड इन इंडिया सर्च इंजन के रूप में पेश किया था, लेकिन अभी तक यह बड़े पैमाने पर नहीं चल पाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि गूगल के प्रभुत्व के कारण भारत में सर्च इंजन नहीं आए हैं, जिसकी 98 फीसदी बाजार हिस्सेदारी है। हालांकि, ऐसा होना गूगल के लिए चिंताजनक हो सकता है, क्योंकि एंड्रॉयड (स्वामित्व गूगल के पास) भारत में 95 फीसदी से अधिक स्मार्टफोन को संचालित करता है। हालांकि, जनरेटिव एआई के आगमन से चीजें बदल सकती हैं पर अभी तक गूगल का भारत में कोई समान प्रतिस्पर्धी नहीं है।

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