शेयर बाजार में गिरावट का आम लोगों पर भी पड़ेगा असर
ट्रंप के टैरिफ के कारण वैश्विक बाजार में बिकवाली का माहौल बना है। शेयर बाजार में गिरावट से भविष्य निधि, राष्ट्रीय पेंशन योजना, और एन्यूटी पेंशन में कमी आ सकती है। इससे रोजगार के मौके घटेंगे, महंगाई...

नई दिल्ली, एजेंसी। ट्रंप के टैरिफ पर दुनियाभर के बाजार में बिकवाली की सुनामी देखने को मिली। अगर आप शेयर बाजार के निवेशक नहीं हैं और इस गिरावट को लेकर निश्चिंत है कि आप पर इसका कोई असर नहीं होगा तो आप गलतफहमी में हैं। शेयर बाजार के गोता लगाने का व्यापक असर होता है। आइये जानते हैं शेयर बाजार में गिरावट का आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। 1. भविष्य निधि खाते की ब्याज दरों पर असर संभव:
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अपनी वार्षिक निधि का 15 फीसदी हिस्सा शेयर बाजार में ईटीएफ के जरिये निवेश करता है। पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर इस पर होने वाले कमाई निर्भर होती है। शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने पर संगठन का फंड भी घट जाता है। इससे ब्याज दरों पर असर संभव है।
2. राष्ट्रीय पेंशन योजना का मुनाफा घटेगा:
राष्ट्रीय पेंशन योजना भी शेयर बाजार से मिलने वाले रिटर्न से जुड़ी हुई है। इसका 50 से 70 हिस्सा बाजार में निवेश किया जाता है। इसमें गिरावट होने पर मुनाफे को भी तगड़ा झटका लग सकता है। गौरतलब है कि एनपीएस में 10 से 12 का औसत रिटर्न मिल रहा है।
3. एन्यूटी लेने वालों की पेंशन में कमी के आसार:
एनपीएस सदस्यों को सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन एन्यूटी प्लान लेना जरूरी होता है। कंपनियां शेयर बाजार में निवेश करती हैं। बाजार में गिरावट से एन्यूटी फंड कम होगा, जिसके चलते पेंशन राशि भी कम हो सकती है।
4. कारोबारी गतिविधियां धीमी होंगी:
शेयर बाजारों से करीब 7,500 कंपनियां जुड़ी हैं, जो बाजार से रकम जुटाती हैं। गिरावट आने पर कंपनी का बाजार पूंजीकरण कम होता है, जिसकी भरपाई में वक्त लगता है। ऐसे में कंपनियों की कारोबारी गतिविधियां धीमी हो जाती हैं।
5. रोजगार के मौके घटेंगे, वेतन-भत्तों पर भी असर:
कारोबारी गतिविधि को बनाए रखने के लिए कंपनियां खर्चों में कटौती करती हैं। इससे युवाओं के लिए रोजगार के मौके भी कम हो जाते हैं। वहीं, कर्मचारियों के वेतन-भत्तों में वृद्धि की उम्मीदों को भी झटका लगता है।
6. रुपया कमजोर होगा, महंगाई में तेजी आएगी:
शेयर बाजार में गिरावट से रुपये का मूल्य भी गिरता है। देश में बनने वाले कई जरूरी सामान के लिए कच्चा माल और कलपुर्जे विदेश से आते हैं। इनकी कीमत बढ़ने से यहां उत्पादित सामान जैसे दवाइयां, उर्वरक आदि के दाम बढ़ जाते हैं।
7. अर्थव्यस्था की तेज रफ्तार पर ब्रेक संभव:
हाल ही में विदेशी निवेशक चीन की तरफ तेजी से आकर्षित हुए हैं। बाजार में गिरावट का इसे भी बड़ा कारण माना जा रहा है। विदेशी निवेशकों का यह रुख आगे जारी रहता है तो अर्थव्यवस्था की गति कुछ समय के लिए धीमी पड़ सकती है।
8. निवेशक कम होने पर सरकार की कमाई घटेगी:
बाजार में निवेश करने वालों से सरकार को ट्रांजेक्शन टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स आदि के रूप में राजस्व मिलता है। गिरावट से निवेशकों की भागादारी कम होगी। इससे सरकार की कमाई कम हो जाएगी और विकास कार्यों पर खर्च में कमी आएगी।
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