शक्तिकांत दास प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव बनाए गए
पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है। वे पिछले साल दिसंबर में सेवानिवृत्त हुए थे। दास ने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है और...
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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई ) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को सेवानिवृत्त के बाद बड़ी जिम्मेदारी मिली है। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रमुख सचिव बनाया गया है। वे आरबीआई गवर्नर के रूप में छह साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद पिछले साल दिसंबर में सेवानिवृत्त हुए थे। शक्तिकांत दास की नियुक्ति के लिए जारी आदेश में प्रमुख सचिव-2 लिखा गया है। पीके मिश्रा 11 सितंबर 2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव हैं।
दास का जन्म 1957 में ओडिशा में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक और परास्नातक की डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री भी ली है। शक्तिकांत दास 1980 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल हुए।
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कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे:
शक्तिकांत दास को 11 दिसंबर, 2018 को उर्जित पटेल के स्थान पर आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया था। गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले दास ने 27 नवंबर 2017 से 11 दिसंबर 2018 के बीच आर्थिक मामलों के सचिव और जी-20 में भारत के शेरपा के रूप में कार्य किया था। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), जी-20 और ब्रिक्स जैसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है। तमिलनाडु कैडर के अधिकारी दास ने राज्य सरकार में भी विभिन्न पदों पर काम किया, जिसमें वाणिज्यिक कर आयुक्त और उद्योग के प्रधान सचिव के पद शामिल हैं। बाद में वे केंद्र सरकार में चले गए और वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर काम किया।
बड़े सुधारों को लागू करने में अहम भूमिका निभाई
दास ने नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे बड़े सुधारों को लागू करने में अहम भूमिका निभाई। मई 2017 में उन्हें आर्थिक मामलों का सचिव नियुक्त किया गया था। इस पद पर रहते हुए वे सरकार की समग्र आर्थिक नीतियों के लिए जिम्मेदार अधिकारी थे। आर्थिक मामलों के सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, दास नवंबर 2016 में उच्च मूल्य वाले करंसी नोटों के विमुद्रीकरण के निर्णय में शामिल थे।
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