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फर्जी वीजा देकर ठगने वाले गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार

चाणक्यपुरी पुलिस ने फर्जी वीजा बनाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और उनके पास से 25 पासपोर्ट, 50 फर्जी वीजा स्टीकर और 14 मुहरें बरामद की गईं। ये ठग इंस्टाग्राम पर...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 24 Dec 2024 06:44 PM
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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। चाणक्यपुरी पुलिस ने फर्जी वीजा देकर ठगी करने वाले गिरोह का खुलासा किया है। मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर इनके कब्जे से 25 पासपोर्ट, 50 फर्जी वीजा स्टीकर और 14 मुहर भी बरामद किया है। ये जालसाज इंस्टाग्राम पर लोगों को झांसे में लेते थे और ठगी की वारदात को अंजाम देते थे। डीसीपी देवेश महला ने बताया कि 16 दिसंबर को लखवीर सिंह नाम के शख्स ने चाणक्यपुरी थाने में ठगी की शिकायत दी थी। पीड़ित ने बताया कि उसके चार दोस्तों को जर्मनी जाना था। उन्हें इंस्टाग्राम पर रनवीर सिंह नाम का शख्स मिला। उसने आठ लाख रुपये प्रति व्यक्ति वीजा बनाने का झांसा देकर मैक्सिको का मोबाइल नंबर दिया। इस नंबर के जरिए पीड़ितों ने परमजीत सिंह से संपर्क किया। परमजीत इस साल अगस्त में पीड़ितों से मिला और इनके पासपोर्ट ले लिए। इसके बाद विभिन्न शुल्क के नाम पर करीब छह लाख रुपये लेकर 16 दिसंबर को एक शख्स के वीजा की फोटो भेजी, लेकिन जांच में यह फर्जी पाई गई।

डीसीपी ने बताया कि पुलिस ने शिकायत लेकर कुवैत दूतावास के पास से परमजीत को हिरासत में ले लिया। इससे पूछताछ के बाद ठगी एवं धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में एफआईआर कर ली गई। जांच में सामने आया कि परमजीत इसी तरह के मामले में आईजीआई पुलिस द्वारा दो साल पहले भी गिरफ्तार हो चुका है।

कनॉट प्लेस में होता था लेनदेन

परमजीत ने बताया कि उसे कनॉट प्लेस में ऑटो चालक द्वारा फर्जी वीजा दिया जाता है। पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज से ऑटो चालक को ढूंढ़ा। उसने बताया कि रानी बाग इलाके में स्कूटी सवार युवकों द्वारा यह दिया गया है। पुलिस ने शनिवार को रानी बाग से स्कूटी चालक तजविंदर को गिरफ्तार किया। तजविंदर ने बताया कि वह सिर्फ रुपये का बंटवारा करता है। उसकी निशानदेही पर सुनील सूद और उदयपाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

फर्जी वीजा फैक्ट्री बनाई थी

डीसीपी ने बताया कि उदय पाल तिलक विहार में फर्जी वीजा बनाता था। उसके घर से अल्ट्रावॉयलेट मशीन और करीब आठ जीबी डाटा भी मिला। उदय पाल से फर्जी कागजात सुनील के माध्यम से होते हुए अन्य लोगों तक पहुंचा था।

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