महाराष्ट्र और झारखंड के परिणाम से थमेगा ईवीएम पर सवाल
प्रभात कुमार नई दिल्ली। महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग
प्रभात कुमार नई दिल्ली।
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर उठने वाले सवाल कमजोर पड़ते दिखाई दे रहा है। ईवीएम से हुए इस चुनाव में महाराष्ट्र में जहां भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन को बंपर बहुमत मिला है, वहीं झारखंड में कांग्रेस की अगुवाई वाली इंडिया गठबंधन को अपार सफलता मिली है। इन दोनों राज्यों के परिणाम आने के बाद कोई भी दल उस तरीके से ईवीएम पर खुलकर सवाल खड़े नहीं कर पा रही है, जिस तरह के हर चुनाव के बाद राजनीतिक दल मुखर होकर ईवीएम पर सवाल उठाती रही है।
अभी हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन की अगुवाई कर रही कांग्रेस ने न सिर्फ मुखर होकर ईवीएम पर सवाल उठाए थे बल्कि भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष अपनी औपचारिक शिकायत भी दर्ज कराई थी। हालांकि निर्वाचन आयोग ने कांग्रेस की शिकायतों को जांच करने के बाद खारिज कर दिया था और साफ किया था कि ईवीएम से किसी प्रकार की कोई छेड़छाड़ करना संभव नहीं है। हरियाणा ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में हुए चुनाव में भी ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद 20 सीटों पर ईवीएम में हेराफेरी करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने दावा किया था कि मतगणना के दिन 20 विधानसभा की सीटों पर इस्तेमाल किए गए काफी संख्या में ईवीएम की बैटरी 99 फीसदी दिखा रही थी। इसी को आधार पर बनाकर कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से शिकायत की थी। बाद में आयोग ने कांग्रेस की शिकायतों को खारिज करते हुए कहा था कि ईवीएम में किसी भी तरह के छेड़छाड़ संभव नहीं है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद जो ईवीएम पर सवालों को बल मिला था, उसे महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम ने कमजोर कर दिया है। इस चुनाव में जहां महाराष्ट्र में भाजपा की अगुवाई वाली महायुति को एकतरफा जीत मिली, जबकि कांग्रेस की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी कुछ सीटों पर सिमट कर रह गई। वहीं दूसरी तरफ झारखंड में कांग्रेस की अगुवाई वाली गठबंधन को एकतरफ जीत मिली, भाजपा की अगुवाई वाली गठबंधन कुछ सीटों पर ही सिमट कर रह गई। एक राज्य में जहां कांग्रेस गठबंधन को बंपर जीत मिली है, वहीं दूसरे राज्य में इस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा है। चूंकि दोनों ही राज्यों में ईवीएम से चुनाव हुए, ऐसे में भी कोई भी दल ईवीएम पर मुखर होकर सवाल नहीं उठा पा रहा है क्योंकि इसी ईवीएम से एक राज्य में जीत दर्ज की है तो एक में हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद कुछ दलों के नेता और सोशल मीडिया पर ईवीएम को लेकर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन उनके सवाल उतने मुखर नहीं हैं जितने अन्य चुनाव के बाद होते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने भी ईवीएम पर जताया था भरोसा
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 26 अप्रैल को महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा था कि ‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ की आशंका व संदेह निराधार है। ईवीएम पर भरोसा करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि दोबारा से मतपत्र से मतदान कराने की प्रणाली पर वापस लौटने से पिछले कुछ समय में हुए चुनाव सुधार की स्थिति पहले जैसे हो जाएगी। हालांकि शीर्ष अदालत ने एक नई व्यवस्था देते हुए कहा था कि यदि किसी उम्मीदवार को ईवीएम पर संदेह है तो वह चुनाव परिणाम आने के 7 दिन के भीतर इसकी जांच करवा सकता है।
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