झारखंड में दो चरण और महाराष्ट्र में एक चरण में होगा विधानसभा का चुनाव, 23 नवंबर को होगी मतगणनना
प्रभात कुमार नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा
प्रभात कुमार नई दिल्ली।
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने मंगलवार को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा कि झारखंड में 2 चरणों और महाराष्ट्र में एक चरण में मतदान होगा और दोनों राज्यों में एक साथ 23 नवंबर को मतों की गिनती होगी। इसके साथ ही, निर्वाचन आयोग ने उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड सहित 15 राज्यों की 48 विधानसभा और केरल के वायनाड और महाराष्ट्र के नादेड़ लोकसभा सीट पर उपचुनाव के तारीखों की भी घोषणा कर दी।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार और एसएस संधू की मौजूदगी में दोनों राज्यों के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा कि हम झारखंड और महाराष्ट्र की विधानसभाओं के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, सहभागितापूर्ण, सुलभ, समावेशी और सुरक्षित चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी प्रवर्तन एजेंसियों और जिलाधिकारियों को समुचित आदेश दिए गए हैं ताकि सभी राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों को चुनाव में समान अवसर मिल सके।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव की घोषणा करते समय भी हमने कहा था कि आयोग चुनाव में 4 एम यानी धनबल, बाहुबल, गलत सूचना और आचार संहिता के उल्लंघन से निपटेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हाल ही में संपन्न हरियाणा और विधानसभा चुनाव में इसे सख्ती से पालन किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हमने 130 रुपये मूल्य के नकद, नशीले पदार्थ व अन्य पदार्थों को जब्त किया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि झारखंड और महाराष्ट्र में भी हमने निर्देश दिए हैं कि सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव में समान अवसर मिले। उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे नियमों का पालन करते हुए निर्भिक होकर चुनाव प्रचार करें।
झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कुमार ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव में बढ़चढ़कर भाग लेने के लिए मतदाताओं को मुबारकबाद दी। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने लोकसभा चुनाव में जो लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूती दी थी, विधानसभा चुनाव में उसे इमारत बना दिया। उन्होंने कहा कि यह ऐसा चुनाव था, जिसे हमेशा याद किया जाएगा। कुमार ने कहा कि जम्मू कश्मीर चुनाव की घोषणा से पहले वहां लगातार आतंकी घटनाएं हो रही थी, लेकिन ऐसे में हर कोई आशंका जाहिर कर रहा था कि चुनाव कैसे होगा। लेकिन वहां पर चुनाव पूरी तरह से शांति पूर्ण रहा।
कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना- कुमार
हाल ही में हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद ईवीएम को लेकर लग रहे आरोपों को बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हु्ए मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि ‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना। कुमार ने कहा कि ‘चुनाव दर चुनाव प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी बढ़ रही है, हिंसा कम हो रही है और रिकॉर्ड जब्ती हो रही है। मतदाता स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि उन्हें चुनाव प्रक्रिया में विश्वास है और वे बहुत सहभागी हैं.... कुमार ने कहा कि इसके अतिरिक्त मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।
आंकड़े
झारखंड - कुल 81 सीट
सामान्य 44
अनुसूचित जाति-9
अनुसूचित जनजाति- 28
कुल मतादाता- 2,6 करोड़
पुरुष-1.31 करोड़
महिला-1.29 करोड़
पहली बार बने मतदाता-11.84 लाख
युवा मतदाता (20 से 29 साल के) 66.84 लाख
दिव्यांग- 3.67 लाख
100 साल से अधिक उम्र -1706
उभय लिंभ- 448
चुनाव कार्यक्रम
पहले चरण 13 नवंबर को 48 सीटों पर मतदान
दूसरा चरण- 20 नवंबर को 38 सीटों पर मतदान
आंकड़े
महाराष्ट्र - कुल 288 सीट
सामान्य 234
अनुसूचित जाति-25
अनुसूचित जनजाति- 29
कुल मतादाता- 9.63 करोड़
पुरुष-4,97 करोड़
महिला-4.66 करोड़
पहली बार बने मतदाता-20.93 लाख
युवा मतदाता (20 से 29 साल के) 1.85 करोड़
दिव्यांग- 6.36 लाख लाख
100 साल से अधिक उम्र -47776
उभय लिंभ- 6031
चुनाव कार्यक्रम
एक चरण में 20 नवंबर को 288 सीटों पर मतदान
एग्जिट पोल बहुत बड़ी विकृतियां है, मीडिया संस्थानों को आत्मचिंतन करने की जरूरत- मुख्य निर्वाचन आयुक्त
नई दिल्ली।
झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव की तारीखों का ऐलान करते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार में चुनाव परिणाम से पहले मीडिया संस्थानों द्वारा दिखाए जाने वाले एग्जिट पोल पर गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने समाचार चैनलों द्वारा मतगणना के दिन शुरुआती रुझान दिखाने की प्रथा को बकवास बताया और कहा कि ‘ये एग्जिट पोल बहुत बड़ी विकृतियां हैं। उन्होंने कहा कि समय आ गया है, मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इस पर आत्म चिंतन करें। उन्होंने कहा कि आखिरी चरण के बाद शाम को चैनलों पर एग्जिट पोल प्रसारित किया जाता है और चुनाव परिणाम वाले दिन सुबह 8 बजे आधिकारिक रूप से मतगणना शुरू होने के 5 से 10 मिनट के भीतर जीत या हार के रुझान दिखाने लगते हैं। इसे गंभीर चिंता बताते हुए सीईसी कुमार कुमार ने कहा कि हम एग्जिट पोल को नियंत्रित नहीं करते हैं, लेकिन आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
उन्होंने ‘मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से एग्जिट पोल और परिणाम वाले दिन रुझानों के पहले प्रसारण के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एग्जिट पोल और उनसे उत्पन्न होने वाली अपेक्षाओं से एक महत्वपूर्ण विकृति पैदा हो रही है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर विचार-विमर्श और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है, खासकर प्रेस के लिए, और खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए। उन्होंने कहा कि हाल के चुनाव में, हमने कुछ समवर्ती रुझान देखे हैं। सबसे पहले, एग्जिट पोल प्रसारित किए जाते हैं, यह कुछ ऐसा है जिसे हम विनियमित नहीं करते हैं। लेकिन एग्जिट पोल का नमूने का आकार, कहां सर्वेक्षण किया गया, परिणाम कैसे निकाले गए और यदि उनके परिणाम वास्तविक परिणामों से मेल नहीं खाते हैं, तो पोल करने वालों की क्या जिम्मेदारी है, जैसे पहलुओं पर आत्म-चिंतन की आवश्यकता है। निर्वाचन आयोग ने कहा कि मेरा मानना है कि मीडिया के किसी प्रकार का स्व-नियमन शुरू करने का समय आ गया है। साथ ही कहा कि विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को परिणाम के दिनों में एग्जिट पोल और शुरुआती रुझान प्रकाशित करने की प्रथा के बारे में चेतावनी दी। सीईसी कुमार ने कहा कि मतगणना आमतौर पर चुनाव समाप्त होने के तीन दिन बाद होती है। उन्होंने कहा कि मतदान के दिन एग्जिट पोल के जरिए शाम 6 बजे से उम्मीदें बनना शुरू हो जाती हैं, लेकिन इन शुरुआती खुलासों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। जब मतगणना शुरू होती है, तो शुरुआती परिणाम सुबह 8.05 या 8.10 बजे तक दिखाई देते हैं, जो बेतुका है। उन्होंने कहा कि ईवीएम की पहली गिनती केवल सुबह 8.30 बजे शुरू होती है, लेकिन टीवी चैनलों पर सुबह 8 बजकर 10 मिनट या कुछ समय बाद ही रूझानों के नाम पर उम्मीदवारों को आगे पीछे दिखाना शुरू कर देते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि शायद ऐसा अपने एग्जिट पोल को सही दिखाने के प्रयास में ऐसा करता है। उन्होंने कहा कि जबकि हम अपनी वेबसाइट पर आधिकारिक परिणाम सुबह 9.30 बजे प्रकाशित करना शुरू करते हैं और जब वास्तविक परिणाम अक्सर पहले के रुझानों का खंडन करते हैं, जिससे बेमेल स्थिति पैदा होती है। उम्मीदों और वास्तविक परिणामों के बीच यह अंतर गंभीर मुद्दों को जन्म दे सकता है, जो कभी-कभी निराशा में परिणत हो जाता है। सीईसी ने कहा कि समाचार प्रसारण और डिजिटल मानक प्राधिकरण जैसे संगठनों को कुछ आत्म-नियमन करना चाहिए।
शहरों में वोटिंग बढ़ाने के मकसद से दोनों राज्यों में चुनाव सप्ताह के मध्य में मतदान रखा
भारत निर्वाचन आयोग ने शहरी मतदाताओं की उदासीनता के कारण कम मतदान होने और इससे पड़ने वाले प्रभाव पर चिंता जाहिर की और कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए ही महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान सप्ताह के मध्य में रखे गए हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग मतदान कर सकें। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को एक ही चरण में होगा। जबकि झारखंड में 13 और 20 नवंबर को दो चरणों में होंगे। दोनों राज्यों में मतदान बुधवार के दिन होगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र के मुंबई और पुणे जैसे शहरी केंद्रों में कम मतदान के मुद्दे को उठाता रहा है तथा मतदाताओं में जागरूकता बढ़ाने के लिए कई कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले के चुनाव में यह देखा गया है कि शहरी मतदाता मतदान के दिन की छुट्टी के साथ सप्ताहांत को भी जोड़कर घूमने-फिरने आदि के लिए मतदान करने से बचते हैं। उन्होंने शहरी क्षेत्रों के मतदाताओं से चुनाव में भाग लेने की अपील की तथा कहा कि महाराष्ट्र और झारखंड में मतदान के दिन सप्ताह के मध्य में रखे गए हैं, ताकि शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता के मुद्दे को संभाला जा सके। कुमार ने कहा कि हम शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की उदासीनता को लेकर वास्तव में चिंतित हैं और उनसे अपील करना चाहते हैं कि वे आकर मतदान करें। उन्होंने कहा कि मतदान नहीं करना, एक स्वस्थ प्रवृत्ति नहीं है, जो दिखाई दे रही है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त कुमार ने गुड़गांव और फरीदाबाद के अलावा जुबली हिल्स, हैदराबाद, बेंगलुरु साउथ, गांधीनगर, कोलाबा, पुणे, ठाणे का उदाहरण दिया। इन शहरी क्षेत्रों में मतदान संबंधित राज्य के औसत मतदान से काफी कम है। उन्होंने कहा कि हम एक सप्ताह के भीतर नगर निगम आयुक्तों की एक विशेष बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें फिर से अपील की जाएगी।
आयोग ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में महाराष्ट्र में 64 शहरी विधानसभा क्षेत्रों में से 62 में मतदान राज्य के औसत मतदान से कम रहा जैसा कि लोकसभा चुनावों में हुआ था। आयोग ने कहा कि हम शहरी क्षेत्रों के लिए एक विशेष अभियान चलाएंगे। आयोग ने कहा कि हाल ही में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में सबसे पॉश इलाकों में कुछ ऐसे बूथ थे, जहां 20 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ था।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।