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संपादित -- धोखाधड़ी में एटीएम से रकम निकलने पर बैंक जिम्मेदार नहीं : आयोग

फैसला - राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला फोरम के फैसले को रद्द किया - जिला

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 9 Oct 2020 07:00 PM
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फैसला

- राज्य उपभोक्ता आयोग ने जिला फोरम के फैसले को रद्द किया

- जिला फोरम ने बैंक को रकम देने का आदेश दिया था

नई दिल्ली। प्रभात कुमार

यदि आपके एटीम या डेबिट कार्ड से कोई धोखे से रकम निकाल लेता है तो आपका बैंक जिम्मेदार नहीं होगा। जी हां, राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने यह महत्वपूर्ण फैसला दिया है। आयोग ने 11 साल पुराने मामले में फैसला देते हुए कहा है कि एटीएम व डेबिट कार्ड और पिन के बगैर कोई एटीएम से पैसा नहीं निकाल सकता। रुपये एटीएम से तभी निकाले जा सकते हैं, जब व्यक्ति के पास एटीएम/डेबिट कार्ड होने के साथ-साथ पिन (पासवर्ड) भी हो, जो कि सिर्फ खाताधारक के पास होता है।

आयोग की अध्यक्ष जस्टिस संगीता धींगरा सहगल और सदस्य अनिल श्रीवास्तव की पीठ ने कहा है कि कार्ड धारक के अलावा यदि कोई व्यक्ति रकम एटीएम से निकालता है तो इसमें बैंक की कोई गलती या जिम्मेदारी नहीं है। आयोग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के पूर्व के कुछ फैसले और कानूनी पहलुओं पर विचार करते हुए यह फैसला दिया है। आईसीआईसीआई बैंक की अपील का निपटारा करते आयोग ने जिला उपभोक्ता फोरम के जनवरी 2013 के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें बैंक को न सिर्फ खाताधारक के खाते से निकाली गई रकम देने, बल्कि इस पर ब्याज और मुआवजा देने का भी आदेश दिया गया था।

11 साल पहले का मामला

आईसीआईसीआई बैंक में वेतन खाताधारक अमित कुमार घोष को 16 जनवरी 2009 को मैसेज आया कि खाते से 25 हजार रुपये निकल गए हैं। कुछ ही देर में उनके पास चार और एसएमएस आए और कुल मिलाकर उनके बैंक खाते से 1 लाख 25 हजार रुपये की निकासी हो गई। अमित कुमार घोष ने बिना किसी देरी के इसकी जानकारी बैंक को दी। बैंक ने अमित को बताया कि उनके खाते से धोखाधड़ी कर रकम निकाली गई है और इसमें उसकी (बैंक) कोई गलती या जिम्मेदारी नहीं है, ऐसे में रकम उनके खाते में वापस नहीं दी जाएगी। इसके बाद अमित ने जिला उपभोक्ता फोरम में शिकायत दाखिल कर बैंक से अपने पैसे और मुआवजे की मांग की।

ब्याज सहित रकम देने का दिया था आदेश

जिला उपभोक्ता फोरम ने लंबी सुनवाई के बाद शिकायतकर्ता के पक्ष में फैसला दिया। फोरम ने बैंक को शिकायतकर्ता के खाते से निकाले गए 1 लाख 25 हजार रुपये दस फीसदी ब्याज के साथ वापस करने का आदेश दिया। साथ ही, मानसिक परेशानी के लिए 40 हजार रुपये मुआवजा और 10 हजार रुपये मुकदमा खर्च देने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ बैंक ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील दाखिल कर इसे रद्द करने की मांग की थी।

बैंक की दलील

बैंक ने जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए कहा था कि शिकायतकर्ता के खाते से रुपये फ्रॉड के जरिए निकाला गया है, ऐसे में बैंक की कोई जिम्मेदारी नहीं है। बैंक ने कहा था कि कार्ड और पिन के बगैर कोई एटीएम से पैसे नहीं निकाल सकता है जबतक दोनों उसके (पैसा निकालने वाले) पास न हो। बैंक ने कहा था कि शिकायतकर्ता की मिलीभगत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा बैंक ने आयोग में कहा था कि जिला उपभोक्ता फोरम ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर अपने विवेक का इस्तेमाल किए बगैर यह फैसला दिया है, लिहाजा इसे रद्द किया जाए।

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