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अपडेट:::: फर्जी कंपनियां बनाकर साइबर ठगों ने करोड़ों उड़ाए

- धन उगाही के लिए लोगों को डिजिटल अरेस्ट भी किया -

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 3 Nov 2024 08:35 PM
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- धन उगाही के लिए लोगों को डिजिटल अरेस्ट भी किया - आठ लोगों और 24 फर्जी कंपनियों के खिलाफ ईडी का आरोपपत्र

नई दिल्ली, एजेंसी।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बेंगलुरु की एक अदालत में साइबर ठगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। इसमें उसने खुलासा किया कि आठ लोगों का एक गिरोह फर्जी कंपनियां बनाकर साइबर ठगी को अंजाम दे रहा था। इतना ही नहीं गिरोह के सदस्य लोगों को साइबर अरेस्ट कर धन उगाही करते थे।

फर्जी आईपीओ 159 करोड़ ठगे

इन लोगों ने फर्जी आईपीओ आवंटन के माध्यम से लोगों को लालच देकर 159 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी को अंजाम दिया। ईडी ने जांच में पाया कि देश में साइबर घोटालों का यह एक बड़ा नेटवर्क है। ये घोटालेबाज फर्जी शेयर बाजार निवेश यानी पिग-बुचरिंग के माध्यम से लोगों को शिकार बनाते थे। इसके लिए नकली वेबसाइटों और भ्रामक व्हाट्सएप ग्रुप से लोगों को ज्यादा रिटर्न का लालच देते थे। साजिश को अंजाम देने के लिए 24 फर्जी कंपनियों का भी इस्तेमाल किया गया। जांच एजेंसी शनिवार को यह भी बताया कि मामले में खुद को सीमा शुल्क और सीबीआई का अधिकारी बताकर घोटाले के पीड़ितों को डिजिटल अपरेस्ट किया गया। उन्हें फर्जी कंपनियों में धन जमा करने के लिए मजबूर किया।

वसूले गए पैसे विदेश भेजे

ईडी ने कहा कि उसने कई पुलिस एफआईआर का अध्ययन करने के बाद इस अपराध में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया और आठ लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें नाम चरण राज सी, किरण एसके, शाही कुमार एम, सचिन एम, तमिलारासन, प्रकाश आर, अजित आर और अरविंदन हैं। इन लोगों ने ठगी के धन को वैध करने के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और कुछ अन्य राज्यों में 24 फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया। आय को अंततः क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित कर दिया गया और विदेश भेज दिया गया।

फर्जी ग्रुप बनाकर ठगी

साइबर अपराधियों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हॉट्सऐप और टेलीग्राम जैसे सोशल मीडिया मंच के जरिये लोगों को फांसा। उन्होंने फर्जी वेबसाइट और भ्रामक व्हॉट्सऐप समूहों का उपयोग करके शेयर बाजार निवेश पर उच्च मुनाफे का लालच देकर लोगों को लुभाया। ये भ्रामक व्हॉट्सऐप ग्रुप देखने से ऐसे लगते हैं कि प्रतिष्ठित वित्तीय कंपनियों से जुड़े हैं।

सैकड़ों सिम का इस्तेमाल

अदालत ने 29 अक्तूबर को ईडी के आरोपपत्र पर संज्ञान लिया है। इसमें ईडी ने कहा कि है जालसाजों ने इन धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए सैकड़ों सिम कार्ड हासिल किए, जिन्हें या तो फर्जी कंपनियों के बैंक खातों से जोड़ा गया या उनका इस्तेमाल व्हाट्सएप अकाउंट बनाने के लिए किया गया। जांच एजेंसी ने बताया कि पकड़े गए सभी आरोपियों की घोटाले में अलग-अलग भूमिका थी।

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बढ़ते खतरों पर नई एडवाइजरी जारी

देश में बढ़ते साइबर खतरों और डिजिटल अरेस्ट के मामलों के मद्देनजर भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने रविवार को नई एडवाइजरी जारी की। इसमें उसने लोगों से डिजिटल अरेस्ट के प्रति सावधान रहने की अपील की। एजेंसी की ओर से बताया गया कि वीडियो कॉल करने वाले लोग पुलिस, सीबीआई, सीमा शुल्क अधिकारी या न्यायाधीश नहीं हैं। ऐसे लोग साइबर अपराधी होते हैं। लोगों से कहा गया है कि वे इन चालों में नहीं फंसें और राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करके या www.cybercrime.gov.in पोर्टल पर ऐसे अपराधों की तुरंत रिपोर्ट करें। समन्वय केंद्र ने गत सप्ताह भी एडवाइजरी की थी। इसमें लोगों को अपने बैंक खाते, कंपनी पंजीकरण प्रमाणपत्र, आधार पंजीकरण प्रमाणपत्र किसी को नहीं बेचने और किराए पर नहीं देने की सलाह दी गई। कहा गया कि ऐसे बैंक खातों में किसी और द्वारा जमा अवैध राशि के लिए गिरफ्तारी समेत अन्य कानूनी कार्रवाई हो सकती है। बैंक उन खातों के दुरुपयोग की पहचान करने के लिए जांच कर सकते हैं, जिनका इस्तेमाल अवैध पेमेंट गेटवे बनाने के लिए किया जाता है।

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