निजी बसों की संख्या बढ़ने से डीटीसी कर्मियों में आक्रोश
- डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन 16 अक्तूबर को धरना देगी - 10 सूत्रीय मांगों
नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। परिवहन विभाग के बेड़े में निजी बसों की संख्या बढ़ाए जाने से डीटीसी कर्मचारियों में आक्रोश है। कर्मचारियों का कहना है कि विभाग के इस कदम से डीटीसी का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। निजी कंपनियां इसका फायदा उठा रही है। अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन 16 अक्तूबर को डीटीसी मुख्यालय पर धरना देगी। यूनियन के अध्यक्ष ललित चौधरी का कहना है कि इलेक्ट्रिक बसों पर मार्का डीटीसी का है, लेकिन उन पर चालकों की तैनाती अनुबंध के आधार पर की जा रही है। नियमित भर्ती किए जाने की बजाय 14 साल से अनुबंध के आधार पर तैनाती की जा रही है। उनका कहना है कि स्थायी नौकरी लागू होने तक समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाना चाहिए। ड्राइवरों और कंडक्टरों का एक साल के लिए अनुबंध बंद किया जाए। यूनियन के महासचिव मनोज शर्मा का कहना है कि दिव्यांग कोटे में भी लोगों को नौकरी नहीं दी जा रही है। श्रम कानूनों का उल्लंघन हो रहा है। उनका कहना है कि निजी कंपनी की बसों को लाकर बेरोजगारी को बढ़ाना बंद किया जाए। इसके अलावा भी कई मांगें हैं, जो लंबे समय से लंबित हैं।
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