केवल व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा होना, अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं- खालिद
दिल्ली दंगे के मामले में आरोपी उमर खालिद की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय में सुनवाई चार मार्च को होगी। खालिद के वकील ने दलील दी कि व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा होना अपराध नहीं है। पुलिस ने खालिद के...
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- दिल्ली दंगे के मामले में आरोपियों की जमानत याचिका पर चार मार्च तक टली सुनवाई नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता।
वर्ष 2020 में हुए दिल्ली दंगे के मामले में आरोपी उमर खालिद व सह-आरोपियों की जमानत याचिका पर उच्च न्यायालय चार मार्च को सुनवाई करेगा। गुरुवार को उमर खालिद ने दिल्ली उच्च न्यायालय में दलील दी कि सिर्फ व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा होना, अपराध में शामिल होने का सबूत नहीं है। जबकि पुलिस ने विरोध प्रदर्शन करने और बैठकों में भाग लेने को आतंक के बराबर बताया है। खालिद का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने न्यायमूर्ति नवीन चावला और शलिंदर कौर की पीठ के समक्ष दलील देते हुए दंगों से संबंधित गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम (यूएपीए) मामले में उमर के लिए जमानत मांगी।
पेस ने अभियोजन पक्ष के इस दावे का विरोध किया कि खालिद ने छात्रों को जुटाने और भड़काने और की योजना बनाने के लिए व्हाट्सएप पर सांप्रदायिक समूह बनाए। उन्होंने कहा कि वह इन समूहों का सक्रिय सदस्य भी नहीं था। पुलिस की दलीलों का जवाब देते हुए पेस ने तर्क दिया कि खालिद को उन ग्रुप में जोड़ा गया था। उन्होंने एक भी संदेश पोस्ट नहीं किया। वह ग्रुप में बातचीत भी नहीं कर रहा है। उसे किसी ने फंसाया है। किसी ग्रुप में होना किसी आपराधिक गलती का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि खालिद के खिलाफ यूएपीए के तहत कोई अपराध नहीं बनता है। वकील ने कहा कि खालिद ने साढ़े चार साल जेल में बिताए हैं और मुकदमे में देरी उसे जमानत पर रिहा करने का आधार है। मामले में 800 गवाह हैं और पांच साल से लंबित है। आरोप अभी तय नहीं हुए हैं।
दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि खालिद, शरजील इमाम और अन्य लोगों के भाषणों ने सीएए-एनआरसी, बाबरी मस्जिद, तीन तलाक और कश्मीर के सामान्य संदर्भ के बाद डर की भावना पैदा की। कई संरक्षित गवाहों के बयानों से यह साबित होता है कि आरोपी व्यक्ति निर्दोष नहीं थे, जिन्होंने केवल विरोध स्थलों का आयोजन किया, बल्कि व्हाट्सएप समूह के माध्यम से हिंसा फैलाने की योजना बनाई। जिसके परिणामस्वरूप दंगों से संबंधित 751 एफआईआर दर्ज की गईं। शरजील इमाम सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं उच्च न्यायालय में लंबित हैं। मामले की सुनवाई चार मार्च को होगी। सितंबर 2020 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए खालिद ने मामले में दूसरी बार जमानत देने से इनकार करने वाले ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। खालिद के अलावा फरवरी 2020 के दंगों के मामले में कई अन्य लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। जिसमें 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे। सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।
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