पेड़ काटने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति लेने के बारे में नहीं थी जानकारी- उपराज्यपाल
नई दिल्ली में डीडीए के अध्यक्ष और उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में उन्हें सही जानकारी नहीं दी गई थी। उन्होंने तीन अधिकारियों को...
नई दिल्ली। विशेष संवाददाता डीडीए के अध्यक्ष और दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए रिज के पेड़ों को काटने के लिए शीर्ष अदालत से अनुमति लेने की आवश्यकता के बारे में नहीं बताया गया था। पेड़ों की अवैध कटाई को गंभीरता से लेते हुए शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर उपराज्यपाल सक्सेना से इस बारे में अपना निजी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष दाखिल अपने हलफनामे में उपराज्यपाल ने कहा है कि 16 फरवरी से 26 फरवरी के बीच हुई पेड़ों की अवैध कटाई बारे में 10 जून को डीडीए उपाध्यक्ष ने पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी। उन्होंने पीठ को बताया है कि पेड़ों की कटाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति की जरूरत के बारे में उन्हें सबसे पहले 21 मार्च को तब बताई गई, जब डीडीए ने एमसी मेहता मामले में दिए गए निर्देशों के अनुसार विशेषज्ञों की समिति के गठन का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामा में कहा है कि 3 फरवरी को वह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान परियोजना के कामकाज की समीक्षा के लिए साइट का दौरा किया था और काम में तेजी लाने को कहा था। उन्होंने कहा कि अस्पताल के पहुंच मार्ग को चौड़ा करने के लिए प्रस्तावित सड़क पर पेड़ों की कटाई के लिए अदालत की अनुमति लेने की आवश्यकता के बारे में उन्हें नहीं बताया गया था। उपराज्यपाल सक्सेना ने कहा कि परियोजना स्थल पर उनका दौरा परियोजना की प्रगति का जायजा लेने के लिए निर्धारित था, जिसमें इसके महत्व और आवश्यकता के साथ-साथ इसमें पहले से निवेश किए गए वित्त सहित संसाधनों को ध्यान में रखा गया था। उन्होंने कहा है कि ‘उनका निर्देश, किसी भी तरह से, सुप्रीम कोटे के आदेश को दरकिनार करने का नहीं था। साथ ही कहा है कि कानून के तहत जहां भी अनुमति की आवश्यकता थी, वहां कोई भी अनुमति न लेने का कोई निर्देश जारी नहीं किया था। हलफनामा में कहा है कि साइट पर निरीक्षण के दौरान परियोजना को शीघ्रता से पूरा करने का निर्देश का मतलब था कि परियोजना की मौलिक प्रकृति को देखते हुए सभी आवश्यक कार्रवाई शीघ्रता से की जानी चाहिए।
पेड़ काटने के लिए 3 अधिकारी जिम्मेदार
उपराज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट की आदेश की अनदेखी कर पेड़ काटने के लिए डीडीए के तीन अधिकारियों को जिम्मेदार बताया है। हलफनामा में कहा गया है कि डीडीए की जांच समिति ने पेड़ों की अवैध कटाई के लिए अपनी मर्जी से निर्देश देने के लिए 3 मुख्य अधिकारियों को जिम्मेदार माना है। हलफनामा में डीडीए के कार्यकारी अभियंता मनोज कुमार यादव, जिन्होंने ठेकेदार को पेड़ काटने का निर्देश दिया। इसके अलावा दक्षिण जोन के इंजीनियरिंग डिवीजन में तैनात पवन कुमार और आयुष सारस्वत को जिम्मेदार पाया गया। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि तीनों अधिकारियों को निलंबित करने अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि डीडीए के उपाध्यक्ष 16 फरवरी को एम्स में चिकित्सा सर्जरी करवा रहे थे और 16 से 26 फरवरी के बीच पेड़ों की कटाई की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बारे में साइट पर मौजूद नहीं थे। उपराज्यपाल ने डीडीए उपाध्यक्ष को वर्तमान अवमानना कार्यवाही से मुक्त करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की अवैध कटाई के लिए डीडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ चल रही अवमानना कार्यवाही में सुनवाई के दौरान पिछले सप्ताह उपराज्यपाल को हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
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