अतिक्रमण ने बढ़ाई आश्रम फ्लाईओवर विस्तार की लागत, जांच होगी
दिल्ली सरकार ने आश्रम फ्लाईओवर विस्तार योजना की लागत 45 फीसदी बढ़ने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। पिछले डिज़ाइन में बदलाव के कारण लागत 129 करोड़ रुपये से बढ़कर 185 करोड़ रुपये हो गई। सरकार ने दोषी...

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। अतिक्रमण के कारण आश्रम फ्लाईओवर से डीएनडी तक बने आश्रम फ्लाईओवर विस्तार योजना की लागत 45 फीसदी तक बढ़ गई है। दिल्ली सरकार ने इसे लेकर सख्त रुख अपनाते हुए मामले की जांच कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। सरकार का कहना है कि आखिर फ्लाईओवर की योजना बनाते समय अतिक्रमण को उसमें शामिल क्यों नहीं किया गया। निर्माण के दौरान उसकी डिजाइन बदलने से जो लागत बढ़ी उसके लिए दोषी अधिकारी की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। सरकार ने फिलहाल बढ़ी लागत देने से भी इनकार कर दिया है। दरअसल, यह पूरा मामला रिंग रोड पर आश्रम फ्लाईओवर से नोएडा की तरफ जाने वाली सड़क पर डीएनडी तक बने आश्रम फ्लाईओवर एक्सटेंशन योजना का है।
पिछली सरकार ने दिसंबर 2019 में इस योजना को कैबिनेट की मंजूरी दी थी। उस समय उसकी अनुमानित लागत 129 करोड़ रुपये थी। मगर फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान 259 मीटर विस्तार के निर्माण के दौरान उसके डिजाइन में बदलाव करना पड़ा। क्योंकि उस हिस्से में एक अतिक्रमण था, जिसे सुरक्षित रखना था। इसके चलते जहां पहले रिइंफोर्स्ड अर्थ (आरई) दीवार बननी थी, वहां सिंगल पियर वायाडक्ट (एकल खंभे पर आधारित पुल) बनाया गया। डिजाइन में बदलाव के चलते उसकी लागत 129 करोड़ रुपये से बढ़कर 185 करोड़ रुपये हो गई। यह फ्लाईओवर मार्च 2023 में यातायात के लिए खोल दिया गया है। मगर बढ़ी हुई लागत की भरपाई पिछली सरकार नहीं कर पाई। लोक निर्माण विभाग ने परियोजना की संशोधित लागत को लेकर हाल ही में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई व्यय वित्त समिति की पहली बैठक में प्रस्ताव रखा। उस बैठक में लोक निर्माण विभाग के उस प्रस्ताव को टाल दिया गया। समिति ने पाया कि कार्य के दायरे में बदलाव का कारण यह था कि प्रभावित क्षेत्र से अवैध अतिक्रमण नहीं हटाया गया, ट्रैफिक विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं मिला था। उससे योजना में देरी हुई और उसकी लागत बढ़ी। बैठक में समिति ने कहा कि किसी भी परियोजना से पहले यह आवश्यक है कि जिस जमीन पर निर्माण है वहां की सभी अड़चनों को दूर किया जाए। मगर ऐसा लगता है कि अधिकारी ने योजना बनाते समय अतिक्रमण को योजना में शामिल नहीं किया, जिसके चलते बीच निर्माण में उसके डिजाइन में बदलाव किया गया। इसके चलते उसकी लागत बढ़ी। उसके बकाया बिलों का अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। समिति ने पीडब्ल्यूडी को निर्देश दिया है कि वह यह स्पष्ट करे कि अतिक्रमण की जानकारी उन्हें कब हुई। साथ ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ एक विस्तृत जांच की जाए, कि सरकारी खजाने को नुकसान किसने पहुंचाया है। समिति ने प्रस्ताव में देरी और लागत वृद्धि का भी विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।
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