संकटग्रस्त महिलाओं की पेंशन में गड़बड़ी का सर्वे शुरू
::सख्ती:: -महिला एवं बाल विकास विभाग को मिली थी शिकायत -दिल्ली में 3.80 लाख
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने संकटग्रस्त महिलाओं (वूमेन इन डिस्ट्रेस) को मिल रही मासिक पेंशन में गड़बड़ी की शिकायतों के बाद डोर टू डोर सर्वे की शुरुआत की है। दिल्ली में सभी महिला लाभार्थियों की मौजूदा स्थिति की जांच की जाएगी। छह सदस्यीय समिति की निगरानी में हो रही जांच के दौरान यह पता लगाने की कोशिश हो रही है कि लाभार्थी महिला इस पेंशन को पाने की शर्तें पूरी करती हैं या नहीं। वर्तमान में कुल 3.80 लाख महिलाएं इसका लाभ ले रही हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बीते सितंबर में उन्हें संकटग्रस्त महिलाओं द्वारा लिए जा रहे पेंशन को लेकर शिकायतें मिली थी। उन शिकायतों में से कुछ की औचक जांच की गई तो शिकायतें सही पाई गई। अधिकारी ने बताया कि एक महिला की आर्थिक स्थिति ठीक थी, लेकिन उसने अपनी आय एक लाख रुपये से कम दिखाकर और अकेले रहने की बात कह कर पेंशन का लाभ ले रही थी। एक अन्य मामले में एक महिला पेंशन पाने के लिए कागजों पर पति से अलग रहने की बात कह रही थी, लेकिन जब जांच की गई तो वह पति के साथ ही रह रही थी। इसके बाद लाभार्थियों के सर्वे का फैसला किया गया।
छह सदस्यीय समिति गठित
विभाग ने सितंबर में छह सदस्यीय समिति का गठन किया और सर्वे को लेकर दिशानिर्देश तैयार किए। दीवाली से पहले ही डोर टू डोर सर्वे का काम आंगनबाड़ी कर्मियों के जरिए शुरू कर दिया गया है। इसमें लाभार्थी द्वारा दिए गए पते पर जाकर जांच की जा रही है। उनसे कुछ सवाल भी पूछे जा रहे हैं। सर्वे के बाद जो महिलाएं इसके लिए पात्र नहीं हैं या गलत तरीके से लाभ ले रही हैं, उनका पेंशन बंद कर दिया जाएगा। इन्हें प्रतिमाह 2500 रुपये मिलते हैं। यह लाभ उन्हीं महिलाओं को मिलता है जिनकी सालाना आय एक लाख रुपये से कम है।
शुरुआत में मिलते थे छह सौ रुपये
दरअसल, वर्ष 2007-08 से संकटग्रस्त महिला जैसे विधवा, तलाकशुदा, परिवार से अलग रह रही या फिर निराश्रित महिलाओं को इस योजना का लाभ मिलता है। शुरुआत में 600 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान था। पहले साल 6,288 महिलाओं ने इसका लाभ लिया। धीरे-धीरे इसकी राशि बढ़ाई जाने लगी। कोविड के बाद 2500 रुपये महीना कर दिया गया। इसके बाद महिला लाभार्थियों की संख्या भी बढ़ी। 2023-24 में यह संख्या 3.74 लाख तक पहुंच गई। मौजूदा वित्तीय वर्ष 2024-25 में सितंबर तक 3.80 लाख महिलाएं इसका लाभ ले रही हैं।
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