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निर्माण भवन के बाहर सड़क पर डॉक्टरों ने लगाई ओपीडी

::डॉक्टर मांगे इंसाफ:: -36 तरह की स्पेशियलिटी सेवाओं के डॉक्टर मौजूद रहे -आठवें दिन भी

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 Aug 2024 08:23 PM
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नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। कोलकाता के सरकारी मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में विरोध प्रदर्शन जारी है। सोमवार को लगातार आठवें दिन भी डॉक्टरों की हड़ताल रही। आम जनता के बीच समर्थन जुटाने और अपनी मांगों को पहुंचाने के लिए एम्स समेत दिल्ली के अन्य अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने निर्माण भवन में स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने सड़क पर मुफ्त ओपीडी सेवाएं दीं। हालांकि, इस दौरान मरीजों की संख्या बहुत कम रही। हड़ताल के बीच अस्पतालों में आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर अन्य चिकित्सीय सेवाएं प्रभावित रहीं। सोमवार सुबह करीब 11 बजे एम्स समेत दिल्ली के कई अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर निर्माण भवन पहुंचे और नारेबाजी शुरू कर दी। यहां भारी संख्या में दिल्ली पुलिस के जवान भी मौजूद थे। एम्स दिल्ली के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर इंद्र शेखर ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्रालय के कार्यालय के बाहर निर्माण भवन पर सड़क पर ओपीडी सेवाओं में मेडिसिन, स्त्री रोग, सर्जरी, बाल चिकित्सा, नेत्र विज्ञान, हड्डी रोग, न्यूरोलॉजी समेत लगभग 36 तरह की वैकल्पिक ओपीडी सेवाएं उपलब्ध थीं। सड़क पर बैरिकेड के सामने डॉक्टरों ने बैठकर मरीजों का इलाज किया। एम्स दिल्ली के सर्जरी विभाग के डॉक्टर नितिन ने बताया कि हम अपनी जरूरी मांगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं। हमारा मकसद मरीजों को परेशान करना नहीं है। ऐसे में दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों के डॉक्टर सड़क पर लगी इस ओपीडी में शामिल हुए हैं।

डॉक्टरों ने हिंदी में लिखे पर्चे बांटे

एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने हिंदी में अपनी मांगों को बताने वाले पर्चे छपवाए थे। इन्हीं पर्चों को डॉक्टरों ने आम लोगों में बांटा है और उनसे उनके आंदोलन के लिए समर्थन मांगा है। इस पर्चे में डॉक्टरों ने बताया कि किस तरह उन्हें दिन रात अस्पतालों में कई बार 36 घंटे तक लगातार काम करना पड़ता है। अस्पतालों में उन्हें कई बार मरीजों के तीमारदारों के गुस्से का सामना करना पड़ता है और डॉक्टरों से मारपीट तक होती है। ऐसे में वे केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट पर अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं।

मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात हुई

डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फेमा) के प्रतिनिधियों ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात की, लेकिन डॉक्टर केंद्रीय प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करवाने के लिए अड़े हुए हैं, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों की मांग पर एक समिति भी बनाने की बात कही है। डॉक्टर मनीष जांगड़ा ने कहा कि मंगलवार को भी हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। अब हम सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।

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