रणनीतिक फायदे के लिए नए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाए सेना: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में 62वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय दीक्षांत समारोह में सैन्य नेतृत्व से जटिल समस्याओं के समाधान के लिए नई तकनीकों का उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि...
- रक्षा मंत्री ने नई दिल्ली में 62वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को सैन्य नेतृत्व से जटिल समस्याओं का गंभीरता से समाधान सोचने, अप्रत्याशित परिस्थितियों के अनुरूप ढलने और निरंतर बदल रहे भू-राजनीतिक परिदृश्य में रणनीतिक फायदे के लिए नए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री नई दिल्ली में 62वें राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय (एनडीसी) पाठ्यक्रम (2022 बैच) के एमफिल दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। राजनाथ सिंह ने कहा, वर्तमान समय में युद्ध पारंपरिक युद्ध क्षेत्रों से आगे निकल गया है। अब एक बहु-क्षेत्रीय वातावरण में चलता है, जहां साइबर, अंतरिक्ष और सूचना युद्ध, पारंपरिक अभियानों की तरह ही महत्वपूर्ण हैं। साइबर हमले, दुष्प्रचार अभियान और आर्थिक युद्ध ऐसे साधन बन गए हैं, जो बिना एक भी गोली चलाए पूरे देश को अस्थिर कर सकते हैं। सैन्य नेतृत्व के पास जटिल समस्याओं का विश्लेषण करने और अभिनव समाधान तैयार करने की क्षमता होनी चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे भू-राजनीति, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और वैश्विक सुरक्षा गठबंधनों की जटिलताओं पर अच्छी पकड़ रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि आपके द्वारा लिए गए निर्णयों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जो युद्ध के मैदान से आगे बढ़कर कूटनीति, अर्थशास्त्र और अंतरराष्ट्रीय कानून के क्षेत्र तक जाते हैं।
सरकार का ध्यान भविष्य के लिए तैयार सेना बनाने पर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार का ध्यान तकनीकी रूप से उन्नत और भविष्य के लिए तैयार सेना बनाने पर है। उन्होंने आज के समय में तेजी से हो रही प्रौद्योगिक प्रगति को सबसे महत्वपूर्ण ताकत बताया, जो भविष्य के लिए तैयार सेना के विकास को गति प्रदान करती है। राजनाथ ने कहा, ड्रोन और स्वायत्त वाहनों से लेकर कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) और क्वांटम कंप्यूटिंग तक, आधुनिक युद्ध को आकार देने वाली प्रौद्योगिकियां बहुत तेजी से विकसित हो रही हैं। हमारे अधिकारियों को इन तकनीकों को समझना चाहिए और उनका उपयोग करने में सक्षम होना चाहिए।
एआई की सीमा तय करने की आवश्यकता
राजनाथ ने रक्षा अधिकारियों से इस बात का गहन विश्लेषण करने का आह्वान किया कि एआई जैसी विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का सबसे अच्छा लाभ कैसे उठाया जाए, जिसमें सैन्य अभियानों में आमूल-चूल बदलाव लाने की क्षमता है। उन्होंने मानवीय हस्तक्षेप के महत्व पर के बारे में बताते हुए कहा, निर्णय लेने में एआई की सीमा तय करने की आवश्यकता है। मंत्री ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में एआई पर बढ़ती निर्भरता जवाबदेही और अनपेक्षित परिणामों की संभावना के बारे में चिंताएं पैदा कर सकती हैं।
रणनीतिक नवाचार को बढ़ावा देने वाला पाठ्यक्रम तैयार करें
केंद्रीय मंत्री ने कहा, एनडीसी जैसी संस्थाओं को अपने पाठ्यक्रम को इस तरह से विकसित करना चाहिए कि न केवल इसमें इस तरह के अपरंपरागत युद्ध पर केस स्टडी शामिल हो, बल्कि इसमें रणनीतिक नवाचार को भी बढ़ावा दिया जाए। पूर्वानुमान लगाने, अपने आपको परिस्थिति के अनुकूल ढालने और प्रतिक्रिया करने की क्षमता हमेशा उभरने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए हमारी तैयारी को परिभाषित करेगी।
महत्वपूर्ण विषयों पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव
राजनाथ सिंह ने कहा, सीखना एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया होनी चाहिए जो किसी पाठ्यक्रम की अवधि तक सीमित न हो। उन्होंने एनडीसी की पहुंच और प्रभाव बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर ऑनलाइन, अल्पकालिक मॉड्यूल शुरू करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा, इससे कहीं भी तैनात अधिकारी इस तरह के प्रतिष्ठित संस्थान द्वारा प्रदान किए जाने वाले ज्ञान और विशेषज्ञता का लाभ उठा सकेंगे।
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