तनाव छिपाएं नहीं, माता-पिता को बताएं : दीपिका पादुकोण
दीपिका पादुकोण ने 'परीक्षा पे चर्चा 2025' में बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के तरीके बताए। उन्होंने तनाव को छिपाने के बजाय माता-पिता से साझा करने की सलाह दी। उन्होंने बचपन की यादें साझा की और...
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नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। ‘परीक्षा पे चर्चा 2025 के दूसरे एपिसोड में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने बच्चों को अपना मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रखने और तनाव दूर करने के तरीके बताए। उन्होंने कहा कि बच्चों को तनाव छिपाना नहीं चाहिए बल्कि इस बारे में माता-पिता को बताना चाहिए। अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ यादों को साझा करते हुए उन्होंने यह बात कही।
अभिनेत्री ने कहा, तनाव महसूस होना जीवन का एक हिस्सा है पर मायने यह रखता है कि हम इसे कैसे संभालते हैं। दीपिका ने अपने बचपन से जुड़ी यादों को भी साझा किया और बताया कि वह बचपन में बहुत शरारती थीं और गणित में बहुत कमजोर थी। दीपिका का वीडियो बुधवार सुबह जारी हुआ, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया पर साझा किया है।
बच्चों के साथ खेला ‘5-4-3-2-1 गेम
दीपिका ने बच्चों के साथ ‘5-4-3-2-1 गेम खेला। इस खेल के नियम बहुत आसान हैं। पांच ऐसी चीजें बताएं जिन्हें आप अभी देख सकते हैं। चार ऐसी चीजें जिन्हें आप अभी छू सकते हैं। तीन ऐसी चीजें जिन्हें आप सुन सकते हैं। दो ऐसी चीजें जिन्हें आप सूंघ सकते हैं। एक ऐसी चीज जिसे आप चख सकते हैं।
अपनी ताकत पहचानें
दीपिका ने बच्चों को एक एक्टिविटी में शामिल किया। उन्होंने बच्चों को एक कागज पर अपनी स्ट्रेंथ लिखने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे आपको स्पष्टता मिलती है कि हमारी ताकत क्या हैं और हमें किन चीजों पर मेहनत करने की जरूरत है।
ध्यान लगाएं, व्यायाम करें
एक छात्र ने दीपिका से सवाल किया, हम दबाव का सामना कैसे करें? दीपिका ने कहा, उन चीजों पर फोकस करें, जिन पर आपका नियंत्रण है। जैसे मेरी तैयारी है या नहीं। मेडिटेशन या व्यायाम कर रहे हो या नहीं। पिता-माता से अपनी बात साझा कीजिए। यह सब आपके कंट्रोल में है। जीवन में क्या करना है ये स्पष्ट होना चाहिए। आप फेल होंगे, यह सबके साथ होता है, लेकिन खुश रहिए।
मैंने भी झेला डिप्रेशन
दीपिका ने बताया कि जब वह मुंबई में अकेली थीं, तो डिप्रेशन का शिकार हो गई थीं। उन्होंने बताया, मैंने बहुत समय तक किसी के साथ यह यह बात साझा नहीं की क्योंकि मैं अकेली थी। एक बार मेरी मां मुझसे मिलने आईं और उनके जाने पर मैं रोने लगी। मेरे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं, मैं सोचती थी कि मुझे अब जीना नहीं है। मां ने एक साइकोलॉजिस्ट को कॉल किया और मेरी उनसे बात कराई। जब मैं इस बारे में बात करने लगी तो मुझे बहुत हल्का महसूस हुआ।
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