दलित संगठनों ने मेवाणी के ‘अपमान के लिए आईपीएस अधिकारी से माफी मांगने को कहा
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के गुजरात समन्वयक सुबोध कुमुद ने भाजपा पर निशाना साधा दलित संगठनों ने मेवाणी के ‘अपमान के लिए आईपीएस अधिकारी से माफी मांगन
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के गुजरात समन्वयक सुबोध कुमुद ने भाजपा पर निशाना साधा कहा, भाजपा और उसकी सरकार आईपीएस राजकुमार पांडियन को बचाने की कोशिश कर रही
अहमदाबाद, एजेंसी। अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने गुरुवार को धमकी दी कि यदि गुजरात के आईपीएस अधिकारी राजकुमार पांडियन ने दलित नेता और कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी का ‘अपमान करने के लिए माफी नहीं मांगी तो वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ अभियान चलाएंगे।
राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के गुजरात समन्वयक सुबोध कुमुद ने अगले 24 घंटे में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से माफी मांगने को कहा है। साथ ही उन्होंने राज्य की भाजपा सरकार पर अनुसूचित जातियों और उनके मुद्दों के प्रति असंवेदनशील रहने का आरोप लगाया।
यहां प्रेस कांफ्रेंस में कुमुद ने कहा कि अनुसूचित जाति समुदाय के नेता अगले सप्ताह मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से मिलेंगे और पांडियन के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे। पांडियन वर्तमान में राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी/एसटी) प्रकोष्ठ में अवर पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) के रूप में कार्यरत हैं।
गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मेवाणी का 15 अक्तूबर को पांडियन के साथ तब विवाद हुआ था, जब वह भाजपा शासित राज्य में दलितों से संबंधित कुछ मुद्दों के बारे में एक ज्ञापन सौंपने के लिए गांधीनगर में उनसे मिलने गए थे।
इस घटना के बाद बनासकांठा जिले के वडगाम (सुरक्षित) सीट से विपक्ष के विधायक मेवाणी ने पांडियन के खिलाफ ‘विशेषाधिकार हनन के लिए कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि जब वह एक बैठक के लिए शीर्ष पुलिस अधिकारी के कार्यालय गए तो उन्होंने ‘अशिष्ट और अहंकारपूर्ण तरीके से व्यवहार किया था। कुमुद ने आरोप लगाया, ‘मेवाणी कांग्रेस शासन के दौरान दलितों को कृषि के लिए आवंटित लगभग 3 हजार एकड़ भूमि पर असामाजिक तत्वों के अवैध अतिक्रमण के मुद्दे को लेकर पांडियन से मिलना चाहते थे।
उन्होंने कहा, ‘यदि पांडियन गुजरात के 50 लाख दलितों से माफी नहीं मांगते हैं, तो राज्य के दलित समूहों से जुड़े लोग महाराष्ट्र जाएंगे और भाजपा तथा उसकी सरकार के खिलाफ अभियान चलाएंगे जो पांडियन को बचाने की कोशिश कर रही है। हम महाराष्ट्र (जहां 20 नवंबर को मतदान होगा) के लोगों को बताएंगे कि भाजपा सरकार और उसकी पुलिस दलितों के प्रति कितनी असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हाथ मिलाने वाले अन्य दलित संगठनों में युवा भीम सेना, भीम आर्मी और वडोदरा की संविधान बचाओ समिति शामिल हैं।
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