वक्फ पर सरकार देश को गुमराह कर रही, विधेयक से मुकदमे बढ़ेंगे: गौरव गोगोई
कांग्रेस ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पर केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि यह अल्पसंख्यक समुदायों की जमीन पर नजर रखता है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कांग्रेस ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि इस विधेयक के जरिए सरकार की नजर अल्पसंख्यक समुदायों की जमीन पर है। वह अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनना चाहती है। कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, कल को दूसरे समुदायों की जमीन पर भी उनकी नजर हो सकती है। उन्होंने कहा कि वक्फ पर प्रस्तावित कानून से मुकदमेबाजी बढ़ जाएगी। लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए गौरव गोगोई ने कहा कि वक्त के साथ चीजों को बेहतर बनाने के लिए संशोधन होना चाहिए। यह संशोधन कानून को और मजबूत बनाने के लिए होना चाहिए, लेकिन इस विधेयक से देश में और समस्या बढ़ेगी। मसले बढ़ेंगे और बड़ी तादाद में मुकदमेबाजी भी बढ़ेगी। केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री पर राजनीतिक भाषण देने और सदन को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि उन्हें अपने आरोपों को साबित करना होगा।
गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि इस विधेयक को लाने का मूल उद्देश्य संविधान को कमजोर करना, भ्रम फैलाना, अल्पसंख्यक समुदायों को अपमानित करना तथा भारतीय समुदाय को विभाजित करना है। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष वाकई अल्पसंख्यकों को लेकर चिंतित है तो सरकार बताए कि लोकसभा में उसके पास कितने मुस्लिम सांसद हैं। इसके साथ उन्होंने संविधान को कमजोर करने, अल्पसंख्यकों को कमजोर करने, समाज को विभाजित करने और अल्पसंख्यकों को वंचित करने का भी आरोप लगाया।
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सरकार को वक्फ पर कानून बनाने का अधिकार नहीं: तृणमूल
तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि संसद को इस संबंध में कानून पारित करने का कोई अधिकार नहीं है। लोकसभा में बहस में हिस्सा लेते हुए उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपनी संपत्ति का अधिकार है। क्योंकि, वक्फ संपत्ति मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है। वक्फ विधेयक का विरोध करते हुए कल्याण बनर्जी ने कहा कि ऐसे कानून पारित करने का अधिकार केवल राज्यों का है और यह विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधान के तहत संसद को ऐसे विधेयक लाने का अधिकार नहीं है। संसद के माध्यम से राज्य विधायिका के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। इसके साथ उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार को यह पूछने का अधिकार किसने दिया कि कोई अपनी धार्मिक जिम्मेदारी अदा कर रहा है या नहीं।
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