देश में एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट सक्रिय : राहुल गांधी
कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया है। राहुल गांधी ने कहा कि अडानी समूह और नियामक संस्थाओं के बीच खतरनाक साठगांठ है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुच के शेयर रखने...
- कांग्रेस ने सेबी प्रमुख माधवी बुच से पूछे सवाल - हितों से टकराव का आरोप लगाया
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। कांग्रेस ने एक बार फिर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच पर निशाना साधा है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सेबी से जुड़े मामलों का हवाला देते हुए कहा कि देश में एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट सक्रिय है। इसके मूल में अडानी समूह, प्रमुख नियामक संस्थाएं एवं भाजपा के बीच की खतरनाक साठगांठ है। इस बीच, कांग्रेस ने माधबी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाया है।
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मंगलवार को कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए आरोप लगाया है कि माधबी पुरी बुच प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड से भी जुड़ी हुई हैं और इसमें उनकी इक्विटी है। उन्होंने कहा कि सेबी की पूर्णकालिक सदस्य बनने के बाद भी उन्होंने कंपनी में शेयर रखना जारी रखा है। खेड़ा का दावा है कि प्रेडिबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करने वाली कंपनी जेसेसा इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड का नाम पैराडाइज पेपर्स मामले में भी सामने आया था।
सेबी प्रमुख माधबी बुच पर हितों के टकराव का आरोप लगाते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि बुच ने अपनी संपत्ति इंडियाबुल्स समूह से जुड़े एक व्यक्ति से संबंधित कंपनी को किराए पर दे दी, जबकि यह कंपनी सेबी की जांच के दायरे में थी। कांग्रेस के इन आरोपों पर माधवी बुच या अडानी समूह की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। इसको लेकर कांग्रेस ने कई सवाल भी किए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सवाल किया कि माधबी पुरी बुच ने अपनी दूसरी प्रॉपर्टी ऐसी कंपनी को क्यों दी, जिसका सेबी से रिश्ता है। बुच ने ऐसी कंपनी में शेयर क्यों रखे, जिनके इन्वेस्टर के नाम पैराडाइज पेपर में आए? इसके साथ उन्होंने सवाल किया कि अनंत नारायण ने अपनी प्रॉपर्टी एक ऐसे स्टॉक ब्रोकर को क्यों दी, जो सेबी की जांच के दायरे में आता है। इससे पहले राहुल गांधी ने यूट्यूब पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा कि भारत के संस्थागत ढांचे में एकाधिकार बचाओ सिंडिकेट उदय के साथ खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इस सिंडिकेट के मूल में अडानी, प्रमुख नियामक संस्थाओं और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के बीच एक खतरनाक साठगांठ है। उन्होंने आरोप लगाया कि अडानी डिफेंस वेबसाइट से पता चलता है कि कैसे कंपनी केवल विदेश निर्मित हथियारों की दोबारा ब्रांडिंग करके मुनाफा कमाती है।
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