Hindi Newsएनसीआर न्यूज़नई दिल्लीClimate Change Study Rising Temperatures in Central-North India Post-1998

गर्मियों के दौरान उत्तर-मध्य भारत में बिगड़ रही स्थिति

नोटःःः यह खबर पूर्व में शीर्षक ‘उत्तर मध्य भारत में हीटवेव की स्थिति खराब से

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 21 Oct 2024 10:16 PM
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मुंबई, एजेंसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बंबई (आईआईटीबी) के जलवायु अध्ययन केंद्र द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया कि 1998 के बाद से गर्मियों में हवाओं का रुख उत्तर की ओर होने से उत्तर-मध्य भारत में गर्मी की स्थिति बिगड़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया कि उत्तर-मध्य भारत को मानसून से पहले के महीनों में अक्सर खतरनाक गर्मी का सामना करना पड़ता है। अध्ययन में कहा गया कि हवाओं का यह रुख क्षेत्र में गर्मियों में पड़ने वाली भीषण गर्मी की आवृत्ति, अवधि और कुल संचयी गर्मी में 25 प्रतिशत भिन्नताओं के लिए जिम्मेदार है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि हवाओं के रुख में यह परिवर्तन संभवतः प्रशांत महासागर के तापमान में 1998 के आसपास हुई वृद्धि के कारण हुआ जो संभवतः पृथ्वी के औसत तापमान में क्रमिक वृद्धि (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण और भी बदतर हो गया।

अध्ययन के प्रमुख लेखक आईआईटी बंबई के डॉ. रोशन झा ने कहा कि 1998 से लेकर अब तक, उत्तर-मध्य भारत में मानसून-पूर्व गर्मी के मौसम में तापमान में लगभग 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई। यह वृद्धि उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट के रूप में जानी जाने वाली मजबूत ऊपरी क्षोभमंडलीय हवाओं के उत्तर की ओर बढ़ने के कारण प्रतीत होती है।

पड़ोसी देशों पर भी प्रभाव

झा ने रेखांकित किया कि यह परिवर्तन सिर्फ भारत को ही प्रभावित नहीं कर रहा है, बल्कि पड़ोसी पाकिस्तान और पश्चिम एशिया जैसे क्षेत्रों को भी प्रभावित कर रहा है।

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