ब्यूरो::::: ऐन वक्त पर सेबी प्रमुख नहीं हुईं पेश, पीएसी की बैठक स्थगित
भाजपा ने पीएसी अध्यक्ष वेणुगोपाल पर सवाल उठाए हैं और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत की है। सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच की बैठक में अनुपस्थिति के चलते समिति की बैठक स्थगित हुई। भाजपा ने वेणुगोपाल के...
- भाजपा ने समिति के अध्यक्ष वेणुगोपाल पर उठाए सवाल - एकतरफा निर्णय का आरोप, लोकसभा अध्यक्ष से शिकायत
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच के लोक लेखा समिति (Ḥपीएसी) के सामने पेश होने में असमर्थता जताने के बाद गुरुवार को समिति की बैठक स्थगित हो गई। वहीं, बुच की समिति के सामने पेशी और बैठक स्थगित करने को लेकर भाजपा ने उठाए हैं। पार्टी ने पीएसी अध्यक्ष केसी वेणुगोपाल पर एक तरफा निर्णय लेने का आरोप लगाते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसकी शिकायत की है।
बैठक स्थगित होने के बाद वेणुगोपाल ने कहा कि समिति ने अपनी पहली बैठक में फैसला किया था कि पहले विषय के रूप में नियामक संस्थाओं की समीक्षा की जाए। इसलिए, समिति ने गुरुवार को सेबी की प्रमुख को समीक्षा के लिए बुलाया था। उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने पेशी से छूट मांगी थी, जिससे समिति ने इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने पेश होने के लिए रजामंदी दे दी थी। वेणुगोपाल ने कहा कि गुरुवार सुबह सेबी प्रमुख और इसके अन्य सदस्यों की ओर से सूचित किया गया कि निजी कारणों से वह दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकतीं।
सेबी प्रमुख को तलब करने पर सवाल
भाजपा ने पीएसी अध्यक्ष द्वारा सेबी प्रमुख को तलब करने के निर्णय पर सवाल उठाए हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएसी का काम नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर विचार करना है। अलग-अलग संस्थाओं के कामकाज को देखने के लिए संबंधित विभागों की स्थायी समितियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली है कि सीएजी रिपोर्ट में सेबी के बारे में कोई पैराग्राफ नहीं है। उन्होंने वेणुगोपाल के आचरण को अंससदीय करार दिया और लोकसभा अध्यक्ष से इसकी शिकायत की।
बैठक के एजेंडे में क्या था
पीएसी की गुरुवार की बैठक के एजेंडे में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा के लिए समिति के निर्णय के हिस्से के रूप में वित्त मंत्रालय और सेबी प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य शामिल थे। इसके साथ ही एजेंडे में संचार मंत्रालय और ट्राई के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य भी शामिल थे। समिति के एक सदस्य ने बताया कि नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा को लेकर कोई विरोध नहीं हुआ था।
बुच पर हितों के टकराव का आरोप
अमेरिकी रिसर्च कंपनी हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख बुच पर हितों के टकराव के आरोप लगाए थे। इसके बाद कांग्रेस ने बुच और सरकार पर हमला किया था। भाजपा नेता और पीएसी के सदस्य निशिकांत दुबे ने पांच अक्तूबर को लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर समिति के अध्यक्ष पर अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। पीएसी में भाजपा और उसके सहयोगी दलों का बहुमत है। ऐसे में वह बैठक में विपक्षी सदस्यों की तरफ से उठाए गए किसी भी कदम का जोरदार विरोध कर सकते हैं, जिनके बारे में वह मानते हैं कि यह समिति के दायरे से बाहर हैं।
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