लेटरल एंट्री पर भाजपा ने मनमोहन और सोनिया पर निशाना साधा
- केंद्रीय कानून मंत्री ने किया पलटवार, कहा- कांग्रेस ने परंपरा शुरू की थी
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता संघ लोक सेवा आयोग के जरिए लेटरल एंट्री के मुद्दे पर भाजपा व सरकार ने सोमवार को कांग्रेस पर पलटवार किया। केंद्रीय कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए सरकार में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी लेटरल एंट्री का हिस्सा करार दिया।
मेघवाल ने कहा कि लेटरल एंट्री कांग्रेस के समय से हो रही है। उन्होंने कहा कि 1976 में वित्त सचिव बनाए गए मनमोहन सिंह और यूपीए सरकार में एनएसी की अध्यक्ष बनाई गईं सोनिया गांधी भी लेटरल एंट्री थीं। मेघवाल ने कहा, लोकसभा में नेता विपक्ष कांग्रेस नेता राहुल गांधी संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन अपने पद का ध्यान ही नहीं रख रहे। वह कह रहे हैं कि लेटरल एंट्री के माध्यम से आरएसएस के लोगों को भर्ती किया जा रहा है।
कई नामों का जिक्र किया
मेघवाल ने कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह को 1976 में सीधे वित्त सचिव कैसे बनाया गया? योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी लेटरल एंट्री थे। एनएसी की अध्यक्ष सोनिया गांधी बनी थीं। यह संवैधानिक पद है क्या। आपने प्रधानमंत्री के भी ऊपर बैठा दिया। लेटरल एंट्री हैं। ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे।
कांग्रेस को घेरा
मेघवाल ने कहा कि लेटरल एंट्री तो कांग्रेस ने ही शुरू किया था। 2005 में प्रशासनिक सुधार आयोग बना। उसने कहा था, आपने किया ही नहीं। कांग्रेस 2014 तक सत्ता में थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे व्यवस्थित किया। यूपीएससी को यह काम दिया। यह कॉन्ट्रेक्ट की पोस्ट हैं। वह उस विषय का विशेषज्ञ होना चाहिए। इसमें एससी, एसटी, ओबीसी भी भर सकते हैं। आईएएस की रिक्तियां अलग हैं। यह कह रहे हैं कि आरक्षण समाप्त कर रहे हैं। जब आप कर रहे थे, तब नहीं था। अब अचानक ओबीसी प्रेम उमड़ पड़ा।
मेघवाल ने कहा, 1961 में जवाहर लाल नेहरू ने बोला था कि आरक्षण के खिलाफ हूं। काका कालेलकर समिति में ओबीसी के खिलाफ बोले। राजीव गांधी ने भी संसद में बोला कि ओबीसी के आरक्षण के खिलाफ हूं। उनको समझ में आना चाहिए कि काठ की हांड़ी बार बार नहीं चढ़ती।
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