भाजपा के चार पार्षद तीन हाउस मीटिंग से निलंबित
दिल्ली नगर निगम के सदन में भाजपा पार्षदों ने जलभराव, नाले की सफाई और मेयर चुनाव को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। मेयर ने कई पार्षदों को निलंबित किया और सदन की कार्यवाही स्थगित की। विपक्षी नेता ने सत्ता...
- भाजपा पार्षदों ने जलभराव की समस्या और मेयर चुनाव को लेकर विरोध प्रदर्शन किया नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक में बुधवार को जमकर हंगामा हुआ। भाजपा पार्षदों ने जलभराव की समस्या, नाले की साफ सफाई और मेयर चुनाव जैसे मुद्दों पर सदन में विरोध जताया। साथ ही सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले भी भाजपा पार्षदों ने सदन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। मेयर ने सदन में हंगामा और नारेबाजी करने के आरोप में पीतमपुरा से भाजपा पार्षद डॉ. अमित नागपाल, मुंडका से पार्षद गजेंद्र सिंह दराल, झिलमिल से पार्षद पंकज लूथरा, विनोद नगर से पार्षद रविंद्र सिंह नेगी को तीन सदन की बैठकों के लिए निलंबित कर दिया है।
इसके अतिरिक्त मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने सदन की कार्यवाही को दो बार स्थगित किया। निगम सदन में भलस्वा डेयरी कॉलोनी को रिहायशी कॉलोनी में परिवर्तित करने का निजी सदस्य विधेयक (प्राइवेट मेंबर रेजोल्यूशन) सदन में लाया गया। इसे सदन में पास कर दिया गया। आम आदमी पार्टी की जहांगीरपुरी से पार्षद टिम्सी शर्मा यह प्रस्ताव लाई थीं। इसे भलस्वा से पार्षद अजीत सिंह यादव और स्वरूप नगर से पार्षद जोगिंद्र सिंह ने समर्थन किया। अंत में मेयर ने तीसरी बार सदन की कार्यवाही को अगली तिथि तक के लिए स्थगित कर दिया।
मेयर ने भाजपा पार्षदों को घेरा
मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने आरोप लगाते हुए कहा कि सदन में एक शोक प्रस्ताव के पढ़ने के दौरान भी भाजपा पार्षद हंगामा करते रहे। वह महिला विरोधी हैं। वह सदन की कार्यवाही को बिल्कुल भी चलने देना नहीं चाहते हैं। मैंने बार-बार भाजपा पार्षदों को सदन की कार्यवाही के संचालन के लिए अपनी सीट पर बैठने के लिए कहा, लेकिन वह नहीं माने और नारेबाजी करते रहे।
जनता के मुद्दों पर सत्ता पक्ष चर्चा नहीं करना चाहता : नेता विपक्ष
नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह ने सत्ता पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी कभी भी सदन में नागरिकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती है। दिल्ली में जलभराव की समस्या से लोग परेशान हैं। कई जगहों पर नालों की साफ-सफाई नहीं की गई है। सुप्रीम कोर्ट के एल्डरमैन (मनोनीत पार्षदों) का फैसला आने के बाद मेयर चुनाव पर सत्ता पक्ष को कई कदम उठाना चाहिए था, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं किया गया। राज्य सरकार पर निगम का 15 हजार करोड़ रुपये बकाया है। इसे लेने के लिए मेयर कोई कदम नहीं उठा रही हैं।
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