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राजदरबार: किसकी ताकत

दिल्ली चुनाव के बाद सभी की नजर बिहार चुनाव पर है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश करेगी। एक नेता ने राहुल गांधी से मुलाकात में कहा कि जो लोग पार्टी के लिए भेजे जाते...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 22 Feb 2025 05:00 PM
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राजदरबार: किसकी ताकत

किसकी ताकत दिल्ली के बाद सबकी निगाह अब बिहार चुनाव पर है। कांग्रेस के कई नेताओं का कहना है कि बिहार में इस बार पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश करेगी, भले ही नतीजा कुछ भी हो। इन नेताओं का तर्क है कि जब तक पार्टी अपने संगठन का विस्तार नहीं करेगी, ज्यादा बड़े नतीजे की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। राहुल गांधी से मिलने आए बिहार के एक नेता ने ऐसी बात कही कि सभी भौंचक रह गए। नेताजी ने कहा, आप जिसे पार्टी की ताकत बढ़ाने के लिए भेजते हैं वह अपनी ताकत बढ़ाने लगता है इसलिए जो जिम्मेदार हैं उनपर भी नजर रखनी चाहिए। इस पर आलाकमान की सकारात्मक बातें सुनकर फिलहाल नेताजी खुश हैं।

ऐसा भी क्या?

भाजपा को दिल्ली में मुख्यमंत्री तय करने में दस दिन लगे। कारण चाहे जो भी हो लेकिन इससे मुख्यमंत्री के कई दावेदारों को गहरा सदमा भी लगा, लेकिन हद तो तब हो गई जब मुख्यमंत्री नहीं चुने जाने से खफा एक नेता ने घर पर आए समर्थकों के गुलदस्ते और मिठाइयां भी लौटा दीं, जबकि मंत्री वे फिर भी बने। बधाई तो मंत्री बनने की भी बनती है।

नजरबट्टू

कांग्रेस ने नए मुख्यालय इंदिरा भवन में कामकाज शुरू कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे जहां पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं वहीं, कई पदाधिकारियों ने अपने-अपने दफ्तर में बैठना शुरू कर दिया है। पर नए दफ्तर में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय मुख्य दरवाजे के ऊपर लगा नजरबट्टू है। क्योंकि, पार्टी ने मुख्यालय के मुख्य द्वार पर काले रंग का नजरबट्टू लगाया है। एक वरिष्ठ नेता से जब इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि पार्टी को किसी की नजर न लगे, इसलिए नजरबट्टू जरूरी है।

अपने बेगाने

झारखंड में एक राष्ट्रीय दल के सांसद अपनी ही पार्टी के बयानवीरों की सोशल मीडिया पर चल रही टिप्पणियों से खासे परेशान हैं। दरअसल, सोशल मीडिया पर पार्टी के चुनिंदा कार्यकर्ता लगातार सांसद महोदय के कारोबारी संबंधों को हवा दे रहे हैं। साथ ही उनका पुराना इतिहास खोदने में लगे हैं। उधर, नेताजी सोशल मीडिया पर आ रहे रोज-रोज की पोस्ट से परेशान हैं। इधर, कार्यकर्ता नेताजी के परेशान होने पर मजे ले रहे हैं।

जोश हाई

बिहार में एक पार्टी के प्रदेश स्तर के नेताओं में उम्मीदें फिर से उफान मारने लगी हैं। चुनावी दंगल के ठीक पहले नए प्रभारी की तैनाती से नाउम्मीद हो चुके नेता भी उत्साहित दिख रहे हैं। अब प्रभारी को चेहरा दिखाने की होड़ मची है। वन टू वन भेंट के दौरान क्या कहना है, मौके पर याद रहे, किसी नाटक के संवाद की तरह। इसके लिए बाकायदा नोट भी तैयार कर लिया है। अक्सर सूना रहने वाला प्रदेश कार्यालय ऐसे नेताओं से पट गया है। अपनी खासियत और उस क्षेत्र से दूसरे दावेदारों के अवगुणों को भी नोट कर लिया है, ताकि प्रभारी जी को यह मौका मिलते ही थमा दें। भूले-बिसरे लोग भी यह दावा करते नजर आ रहे हैं कि अब नये प्रभारी के आने के बाद पार्टी को ताकतवर बनने से कोई नहीं रोक सकता। हालांकि, यह तो बाद में पता चलेगा कि सबकुछ पुराने पैटर्न पर ही चलेगा या वाकई कुछ बदलेगा भी।

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