जंतर-मंतर पर यंत्रों के संरक्षण का कार्य होगा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) अगले महीने जंतर-मंतर स्थित मिश्र यंत्र के कर्क राशि वलय और दक्षिणोत्तर भित्ति यंत्र की मरम्मत शुरू करेगा। ये यंत्र ग्रहों की स्थिति की गणना में मदद करते हैं। संरक्षण...
नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। खंगोलीय पिंडों के देशांतर मापने में मदद करने वाले जंतर-मंतर स्थित मिश्र यंत्र के कर्क राशि वलय और दक्षिणोत्तर भित्ति यंत्र की मरम्मत होगी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआई) अगले महीने से यंत्र के संरक्षण को लेकर कार्य शुरू होगा। इन यंत्रों से ग्रहों की स्थिति की गणना कर सकते हैं। मार्बल से निशान होंगे चिह्नित
एएसआई विशेषज्ञों की देखरेख में यंत्रों को फिर से चालू करने की दिशा में काम करेगा। संरक्षण के अभाव में यंत्रों के अधिकांश चिह्न लुप्त हो चुके हैं। एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि संरक्षण कार्य को लेकर रूपरेखा तैयार कर ली गई है। यंत्रों पर प्लास्टर की जगह मार्बल के पत्थर से निशान चिह्नित किए जाएंगे, जिससे कि भविष्य में भी उनका वजूद बरकरार रहे।
मिश्र यंत्र का है हिस्सा
कर्क राशि वलय और दक्षिणोत्तर भित्ति यंत्र मिश्र यंत्र का हिस्सा है। मिश्र यंत्र की संरचना में अनेक यंत्र शामिल हैं। इसमें सम्राट यंत्र, वृतपादीय चाप एवं नियत चक्र है। नियत चक्र दिल के आकार का है। यह केंद्र में स्थित है। दक्षिणोत्तर भित्त यंत्र एक अर्द्धवृत्ताकार चाप के रूप में निर्मित है और मिश्र यंत्र के पूर्वी दीवार में स्थित है।
ग्रहों की स्थिति की कर सकते हैं गणना
इन यंत्रों के अधिकांश चिह्न लुप्त हो चुके हैं। इन यंत्रों की मदद से राशि में ग्रहों की स्थिति की चाल की गणना की जा सकती है। जैसे कर्क राशि वलय यंत्र सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश को इंगित करता है। जंतर-मंतर खगोलीय उपकरणों की वेधशाला है। जयपुर के महाराज जयसिंह द्वितीय ने 1699-1743 में इन उपकरणों का निर्माण कराया था। इस तरह की वेधशाला जयपुर, उज्जैन, वाराणसी और मथुरा में भी बनवाई गई थी। मथुरा में ये यंत्र अब नहीं हैं।
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