अहिल्याबाई की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
दिल्ली में पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की जयंती के 300वें वर्ष पर एक कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर उनकी जीवनी पर दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण गोपाल ने अहिल्याबाई की न्यायप्रियता और...
नई दिल्ली। पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की जयंती के 300वें वर्ष के पावन अवसर पर दिल्ली में निगम मुख्यालय के केदारनाथ साहनी सभागार में कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर अहिल्याबाई होलकर पर दो पुस्तकों का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि लोकमाता अहिल्याबाई होलकर भारतवर्ष की एक महान शासिका थीं, जिन्हें न्यायप्रियता, कुशल प्रशासन और सनातन के पुनर्जागरण के लिए किए गए कार्यों के कारण जाना जाता है । उनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के चौंडी में हुआ था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल शामिल हुए। साथ ही अखिल भारतीय पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर, त्रिशती समारोह समिति के अध्यक्षा डॉ. उपासना अरोड़ा, कार्याध्यक्ष उदय राजे होलकर, दिल्ली कारागार की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा, दिल्ली के संरक्षक दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, लेखक मधुसुदन होलकर शामिल हुई। इस दौरान त्रिशती समारोह समिति दिल्ली के सचिव डॉ. अशोक त्यागी ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया। साथ ही अखिल भारतीय पुण्यश्लोक लोकमाता अहिल्याबाई होलकर, त्रिशती समारोह समिति कार्याध्यक्ष उदय राजे होलकर, समिति की दिल्ली की अध्यक्षा डॉ. उपासना अरोड़ा, कार्यक्रम की अध्यक्षा दिल्ली कारागार की पूर्व महानिदेशक विमला मेहरा, समिति के संरक्षक दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह, लेखक मधुसुदन होलकर शामिल हुई। इस दौरान त्रिशती समारोह समिति दिल्ली के सचिव डॉ. अशोक त्यागी ने मंचासीन अतिथियों का स्वागत किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि हमारा देश सातवीं शताब्दी से भयंकर संकट में आ गया। 11वीं सदी से भयंकर आतंक का काल प्रारंभ हो गया। शायद ही कोई देश इस प्रकार 700 वर्षों तक अपने देश की संस्कृति पर हमले का सामना कर पाया हो। ऐसे में एक छोटे से स्थान से एक बालक खड़ा होता है जिसका नाम है शिवाजी महाराज। बहु चतुराई से उन्होंने एक छोटा साम्राज्य स्थापित किया। 1674 में हिंदू पादशाही की स्थापना हुई। 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई। इस छोटे से काल खंड में ही उन्होंने जनमानस में गजब की प्रेरणा भर दी। उनकी मृत्यु के 26 साल बाद तक औरंगजेब उस छोटे से साम्राज्य लड़ता रहा और अंत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही उसकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि इंदौर का होलकर महान हिंदवी स्वराज का एक हिस्सा था। बड़े साम्राज्य को चलाने के लिए कई केंद्र बनाए गए उनमें से एक था इंदौर। शिवाजी महाराज कि तरह ही अहिल्याबाई होलकर का उद्देश्य था नष्ट हो चुके राष्ट्र के सम्मान एवं गौरव को स्थापित करना। राज्य सैकड़ों हो सकते हैं पर राष्ट्र एक है। भारत राज्य नहीं, भारत एक राष्ट्र है।
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