हम उसे 50 मिनट तक CPR देते रहे लेकिन;नई दिल्ली स्टेशन हादसे में बहन को खोने पर भाई का दर्द आपको रुला देगा
- उन 18 जिंदगियों में दिल्ली के संगम विहार में रहने एक शख्स की बहन भी थी, जो अब कभी लौटकर नहीं आएगी। दुखी चेहरे से भाई ने कैमरे पर बताया कि हम उसे 50 मिनट तक सीपीआर देते रहे, जिससे उसे सांसें वापस आ जाए, लेकिन ऐसा हो न सका।
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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में बीती रात हुए हादसे में किसी ने अपने भाई को, किसी ने पत्नी, किसी ने मां तो किसी ने अपनी बहन को खो दिया। स्टेशन पर ट्रेन को लेकर मची भगदड़ जैसे किसी काल के समान आई और 18 जिंदगियां अपने साथ ले गई। उन 18 जिंदगियों में दिल्ली के संगम विहार में रहने एक शख्स की बहन भी थी, जो अब कभी लौटकर नहीं आएगी। दुखी चेहरे से भाई ने कैमरे पर बताया कि हम उसे 50 मिनट तक सीपीआर देते रहे, जिससे उसे सांसें वापस आ जाए, लेकिन ऐसा हो न सका। उन्होंने कहा कि मेरी पत्नी और बच्चे भी इसमें घायल हुए थे जिन्हें अब डिस्चार्ज करा लिया है।
सीढ़ियों पर हुए हादसे का शिकार
दिल्ली के संगम विहार में रहने वाले संजय ने हादसे के बारे में बताते हुए कहा कि हम करीब 12 लोग घर से प्रयागराज के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन गए थे। रात करीब 8 बजे पहुंचने के बाद हम सभी प्लेटफॉर्म 14 के लिए सीढ़ियों पर पहुंचे तभी ये हादसा हुआ। उन्होंने आगे बताया कि भगदड़ के चलते हम सब दब गए। मेरी पत्नी, मेरे भाई की पत्नी, मेरे बच्चे, बहन सब उस भीड़ में दब गए थे। मैंने तो बच्चों को भीड़ में से हाथ खींचकर निकाला। मेरी छोटी बेटी 11 साल की है उसके तो कपड़े तक उतर गए थे।
बहन को नहीं बचा सके
बहन को खोने का दर्द भाई संजय की आंखों पर साफ झलक रहा था। उन्होंने बताया कि उस भीड़ में मेरी बहन भी दब गई थी। बड़ी देर बाद मिली। जब हमें वह मिली, तबतक उसकी जान चली गई थी। उसके बाद भी बदहवास भाई अपनी बहन को पटरियों के रास्ते अस्पताल ले गए। उसे 50 मिनट तक सीपीआर दिया, लेकिन जान नहीं बची। बहन का नाम पिंकी थी।
संजय मूलत:बिहार के गया के रहने वाले थे। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि भीड़ को कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था। कोई भी पुलिस की तरफ से हमारी मदद के लिए नहीं आया। संजय ने आगे बताया कि पत्नी और बच्चों को चोट लगी है, तो उन्हें डिस्चार्ज करा लिया गया है।