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दिल्ली के 6 ऐसे सूरमा जो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके, कहां से लड़ा था चुनाव?

दिल्ली की 70 सीटों में से भाजपा ने 48 पर जीत दर्ज की। भाजपा ने 48 सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत हासिल किया। चुनाव आयोग के नतीजों के अनुसार, छह उम्मीदवार दहाई का भी आंकड़ा नहीं छू सके।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीSat, 8 Feb 2025 10:48 PM
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दिल्ली के 6 ऐसे सूरमा जो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके, कहां से लड़ा था चुनाव?

दिल्ली की 70 सीटों में से भाजपा ने 48 पर जीत दर्ज कर ली है। भाजपा ने 48 सीटें जीतकर दो तिहाई बहुमत हासिल कर लिया है। चुनाव आयोग के नतीजों के अनुसार, आम आदमी पार्टी के 22 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई। आलम यह कि नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे छह उम्मीदवार दहाई का भी आंकड़ा नहीं छू सके। उक्त सभी उम्मीदवार छोटे राजनीतिक दलों बताए जाते हैं।

भारत राष्ट्र डेमोक्रेटिक पार्टी के ईश्वर चंद को सबसे कम मत मिले हैं। उनको केवल चार ही वोट मिले। वहीं भीम सेना के संघा नंद बौद्ध, राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी के मुकेश जैन और राष्ट्रीय मानव पार्टी के नित्या नंद सिंह को आठ-आठ वोट मिले। निर्दलीय उम्मीदवार हैदर अली और पंकज शर्मा को नौ-नौ वोट मिले। इन सभी छह उम्मीदवारों ने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था।

गौर करने वाली बात यह भी कि नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के कद्दावर नेता अरविंद केजरीवाल भी चुनाव हार गए। उनको परवेश वर्मा ने 4089 मतों से हराया। इस सीट पर अरविंद केजरीवाल की हार में कांग्रेस प्रत्याशी संदीप दीक्षित की भी अहम भूमिका रही। उन्होंने इस सीट पर 4500 से ज्यादा वोट हासिल किए, जो दोनों प्रत्याशियों में हार-जीत के अंतर से ज्यादा है।

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव नतीजे पर जनता के फैसले को स्वीकार करते हुए, भाजपा को जीत की बधाई दी है। वीडियो संदेश जारी करते हुए केजरीवाल ने कहा कि जनता का फैसला सिर माथे पर, हम दिल्लीवालों की भलाई के लिए रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएंगे। उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि हमने बहुत ही शानदार तरीके से चुनाव लड़ा।

केजरीवाल ने कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि जिस उम्मीद के साथ, आशा के साथ जनता ने भाजपा को बहुमत दिया है, उन सभी उम्मीदों व आशाओं को वह पूरा करेंगे। अब हम ना सिर्फ रचनात्मक विपक्ष का रोल निभाएंगे, बल्कि हम समाज सेवा, जनता के सुख दुख में साथ खड़े मिलेंगे। किसी को व्यक्तिगत रूप से जरूरत होगी, हम उसके साथ होंगे, क्योंकि हम सत्ता के लिए राजनीति में नहीं आए।

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