नए सीएम की नियुक्ति से दिल्ली में मेयर चुनाव का रास्ता होगा साफ?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान और उसके बाद नए सीएम के चयन से दिल्ली में मेयर चुनाव का रास्ता साफ हो सकता है, जो पिछले छह महीनों से अटका हुआ है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान और उसके बाद नए सीएम के चयन से दिल्ली में मेयर चुनाव का रास्ता साफ हो सकता है, जो पिछले छह महीनों से अटका हुआ है। उपराज्यपाल (एलजी) ने चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने के लिए सीएम से जानकारी मांगी थी।
दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई थी और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के कारण चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी, लेकिन चुनाव नहीं हो सके थे क्योंकि एलजी द्वारा पीठासीन अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया था।
अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, “25 अप्रैल को एलजी सक्सेना ने मुख्यमंत्री से इनपुट के बिना मेयर चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार कर दिया था और 26 अप्रैल को होने वाले चुनाव अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिए गए थे। नए सीएम के आने से प्रक्रिया में मुख्यमंत्री की भूमिका की शर्त पूरी हो सकती है और मेयर चुनाव हो सकते हैं।”
अप्रैल में सक्सेना द्वारा जारी आदेश में कहा गया था: "मैं मुख्यमंत्री की सलाह के अभाव में पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए प्रशासक के रूप में अपनी शक्ति का प्रयोग करना उचित नहीं समझता।"
एमसीडी अधिकारी ने कहा कि चूंकि चुनाव अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं, इसलिए नामांकन वैध बने हुए हैं।
अधिकारी ने कहा कि कुल पांच नामांकन आए थे। मेयर पद के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के महेश कुमार और भाजपा के कृष्ण लाल ने दो नामांकन किए थे। डिप्टी मेयर के लिए तीन नामांकन आए थे, जो वैध बने रहेंगे और नए नामांकन नहीं मांगे जाएंगे। हालांकि, पीठासीन अधिकारी को नामित करने की फाइल को नए सिरे से शुरू करना होगा। यह तभी किया जा सकता है, जब मुख्यमंत्री तक पहुंच के मामले में स्थितियां बदल जाएं।
अधिकारी ने कहा कि चुनाव के लिए फाइल नगर निगम सचिव से एमसीडी कमिश्नर, शहरी विकास सचिव और फिर मुख्य सचिव के पास जाती है, जो इसे शहरी विकास मंत्री के पास भेजते हैं। शहरी विकास मंत्री साइन करके फाइल को सीएम के पास भेजते हैं, जो इसे एलजी के पास भेजते हैं।
एमसीडी के पांच साल के कार्यकाल के दूसरे वर्ष में मेयर का पद अनुसूचित जाति के सदस्य के लिए आरक्षित है, लेकिन निवर्तमान महापौर शेली ओबरॉय ने 25 अप्रैल के एलजी के आदेश के अनुसार पद पर बनी हुई हैं। आदेश में कहा गया है कि “बड़े जनहित में यही ठीक होगा कि मेयर और डिप्टी मेयर तब तक अपने पद पर बने रहें, जब तक कि कानूनी प्रावधानों के अनुसार चुनाव नहीं हो जाते।”
विपक्ष के नेता और भाजपा के राजा इकबाल सिंह ने कहा कि मेयर पद के लिए चुनाव जल्द से जल्द होने चाहिए क्योंकि इस साल का कार्यकाल एससी सदस्यों के लिए आरक्षित है। उन्होंने कहा कि एलजी सक्सेना के हस्तक्षेप से जोनल वार्ड समिति का गठन किया गया है, लेकिन मौजूदा मेयर का कार्यकाल किसी और के कार्यकाल पर हावी हो रहा है। एससी समुदाय का कोई सदस्य मेयर होना चाहिए।"
दिसंबर 2022 में हुए एमसीडी चुनाव में ‘आप’ ने जीत हासिल की, लेकिन प्रमुख पैनल बनाने की प्रक्रिया के साथ-साथ अन्य प्रक्रियाएं राजनीतिक और कानूनी गतिरोधों के कारण अटकी हुई हैं। 250 सदस्यीय पार्षदों के सदन में ‘आप’ के पास 127 पार्षदों के साथ बहुमत है, भाजपा के पास 112 सदस्य हैं और कांग्रेस के पास नौ पार्षद हैं। एक निर्दलीय है और एक सीट खाली है।
अधिकारी ने कहा, "इस महीने के अंत में अंतिम सदस्य के लिए चुनाव होने के साथ एमसीडी में अगले महीने तक पैनल और पदों का काम पूरा हो सकता है।"