मंकीपॉक्स को लेकर दिल्ली तैयार, सफदरजंग को बनाया नोडल अस्पताल; एम्स में पांच बेड आरक्षित
मंकीपॉक्स की आहट के मद्देनजर दिल्ली में इस संक्रमण से निपटने की तैयारियां तेज हो गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे निपटने के लिए सभी प्रमुख अस्पतालों में न सिर्फ बेड सुरक्षित किए जाने, बल्कि प्रमुख लैब को भी अलर्ट कर बीमारी के निदान के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
मंकीपॉक्स को लेकर देशभर में बड़े स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इससे निपटने के लिए सभी प्रमुख अस्पतालों में न सिर्फ बेड सुरक्षित किए जाने, बल्कि प्रमुख लैब को भी अलर्ट कर बीमारी के निदान के दिशा-निर्देश जारी किए हैं। केंद्र सरकार की ओर से दिल्ली में सफदरजंग को मंकीपॉक्स के लिए नामित अस्पताल बनाया गया है। यहां मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। कहीं भी अगर मंकीपॉक्स पॉजिटिव मरीज मिलता है तो उसे सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया जाएगा।
एम्स में पांच बेड आरक्षित
एम्स में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के लिए पांच बेड आरक्षित किए गए हैं। अगर किसी मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई देते हैं या संदिग्ध मरीज आता है तो उसे इन बेड पर रखा जाएगा। अगर मंकीपॉक्स की पुष्टि हो जाती है तो मरीज को सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया जाएगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये दिशा-निर्देश दिए
● मरीजों की शुरुआत में ही स्क्रीनिंग की जाएगी
● त्वचा पर चक्कते, गांठ, तेज बुखार, बदन दर्द आदि लक्षणों के आधार पर संदिग्ध मरीजों को एबी 7 वार्ड में ले जाया जाएगा
● जांच के लिए सैंपल लिए जाएंगे और केंद्रीय सर्विलांस टीम की जानकारी दी जाएगी
● एक एम्बुलेंस ऐसे मरीजों के लिए तैयार रहेगी
● पुष्टि होने पर इन्हें सफदरजंग अस्पताल भेजा जाएगा
भारत में संक्रमण का कम जोखिम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि भारत में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है, हालांकि इस बीमारी को फैलने से रोकने और नियंत्रित करने के लिए एहतियाती कदम उठाए जाएंगे। समीक्षा बैठक में आगामी हफ्तों में बाहर से आने वाले कुछ मामलों का पता चलने की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया गया है, लेकिन यह आकलन किया गया कि निरंतर संचरण के साथ बड़े प्रकोप का जोखिम वर्तमान में भारत के लिए कम है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 2022 में पहली बार स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा के बाद से भारत में कुल 30 मामले पाए गए, जिनमें से अंतिम इस साल मार्च में आया।