एकतरफा हेडलाइन बनाने के लिए CBI ने…मनीष सिसोदिया का बड़ा आरोप
आतिशी ने भी इस मामले पर बात रखते हुए कहा, अरविंद केजरीवाल जी जल्द जेल से बाहर आएंगे और BJP के सभी षड्यंत्रों को विफल करेंगे।
आम आदमी पार्टी नेता मनीष सिसोदिया ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सीबीआई पर जानकारी लीक करने का आरोप लगाया। सिसोदिया ने तंज कसते हुए कहा, केजरीवाल को जेल में रखने के लिए सीबीआई भाजपा के एजेंडे पर कठपुतली की तरह नाच रही है। मनीष सिसोदिया ने कहा,सीबीआई अदालत में जाती है और कहती है कि जमानत याचिका पर हमारा जवाब तैयार नहीं है, इसलिए सुनवाई 14 दिनों के लिए टाल दी जानी चाहिए। उधर मीडिया में उसी दिन सीबीआई का जवाब लीक कर दिया जाता है ताकी अगले दिन यह एक तरफा हेडलाइन हो सके।
आतिशी ने भी इस मामले पर बीजेपी और सीबीआई पर निशाना साधा। आतिशी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट में CBI ने जवाब दाखिल करने के लिए दो हफ़्ते का समय मांगा था लेकिन 2 हफ़्ते बाद कहा कि हमें जवाब दाखिल करने के लिए और समय चाहिए। लेकिन BJP की सीबीआई की पोल अख़बार में दिये CBI के एफिडेविट ने ही खोल दी। CBI अखबारों और मीडिया में एफिडेविट देती है लेकिन सुप्रीम कोर्ट में नहीं क्योंकि उन्हें अरविंद केजरीवाल को जेल में रखना है। उन्होंने कहा, मैं, BJP को कहना चाहती हूं कि जीत हमेशा सच्चाई की होती है, अरविंद केजरीवाल जी जल्द जेल से बाहर आयेंगे और BJP के सभी षड्यंत्रों को विफल करेंगे।
इससे पहले सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में यह कहते हुए बचाव किया था कि यह (गिरफ्तारी) जरूरी थी, क्योंकि उन्होंने कथित आबकारी नीति घोटाले में अपनी भूमिका से जुड़े सवालों के जवाब में “टालमटोल और असहयोग” का रास्ता चुना। केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसी द्वारा की गई उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है। इस याचिका के जवाब में सीबीआई ने दायर अपने विस्तृत हलफनामे में आरोप लगाया कि अब रद्द कर दी गई आबकारी नीति के निर्माण में सभी महत्वपूर्ण निर्णय उनके इशारे पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मिलीभगत से लिए गए थे।
यह दावा करते हुए कि केजरीवाल मामले को "राजनीतिक रूप से सनसनीखेज" बनाने का प्रयास कर रहे हैं, सीबीआई ने कहा कि वह आबकारी नीति के निर्माण और क्रियान्वयन में आपराधिक साजिश में शामिल थे और जांच के न्यायोचित निष्कर्ष के लिए 26 जून को उनकी गिरफ्तारी आवश्यक थी क्योंकि वह “जानबूझकर जांच को पटरी से उतार रहे थे।” हलफनामे में कहा गया है, “गिरफ्तारी की आवश्यकता रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री के आधार पर भी उत्पन्न हुई और चूंकि याचिकाकर्ता ने 25 जून को अपनी पूछताछ के दौरान टालमटोल और असहयोग करने का विकल्प चुना।”
भाषा से इनपुट