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‘LG को पता न हो, यह संभव नहीं’; सौरभ भारद्वाज ने BJP पर DDA फ्लैट में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने डीडीए द्वारा गरीबों के लिए बनाए गए फ्लैट में घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शहर में झुग्गीवासियों के लिए बने डीडीए फ्लैटों को अवैध रूप से अयोग्य व्यक्तियों को बेचा जा रहा है।

Praveen Sharma हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। पीटीआईSat, 12 Oct 2024 03:15 PM
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दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने डीडीए द्वारा गरीबों के लिए बनाए गए फ्लैट में घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि शहर में झुग्गीवासियों के लिए बने डीडीए फ्लैटों को अवैध रूप से अयोग्य व्यक्तियों को बेचा जा रहा है। मंत्री के आरोपों पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और भाजपा की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।

भारद्वाज ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि डीडीए के ये फ्लैट अयोग्य व्यक्तियों को बेचे जा रहे हैं, जिससे गरीबों की सहायता करने के उद्देश्य से शुरू की गई पहल का उद्देश्य ही खत्म हो रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की कार्रवाई से विस्थापित हुए झुग्गीवासियों को आवास देने का वादा किया गया था, जो अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है और यह उपराज्यपाल की सहमति के बिना नहीं हो सकता। भारद्वाज ने भाजपा पर गरीबों के खिलाफ होने का भी आरोप लगाया।

'आप' सरकार के मंंत्री ने कहा, ''केंद्र सरकार की डीडीए की सहमति के बिना इन फ्लैटों को भ्रष्टाचार की भेंट नहीं चढ़ाया जा सकता। बीजेपी के एलजी की नाक के नीचे इतना बड़ा घोटाला और भ्रष्टाचार हो रहा हो और इसकी जानकारी उपराज्यपाल विनय सक्सेना को न हो, ये संभव नहीं है।''

उन्होंने कहा, "भाजपा हमेशा गरीबों से परेशान रहती है और उनके खिलाफ खड़ी रहती है। जब गरीबों को मुफ्त बिजली और पानी दिया गया, तो भाजपा ने इसका विरोध किया। अब ये फ्लैट, जो गरीबों के लिए बने थे, दूसरे लोगों को ब्लैक में दिए जा रहे हैं।"

आम आदमी पार्टी (आप) नेता ने इस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा कि केवल हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट का कोई सिटिंग जज ही पारदर्शी जांच सुनिश्चित कर सकता है।

भारद्वाज ने कहा, "यदि एसीबी या सीबीआई जांच करती है, तो इस पर पर्दा डाल दिया जाएगा, क्योंकि ये एजेंसियां ​​एलजी और केंद्र सरकार के अधीन काम करती हैं। इसलिए, पारदर्शी जांच सुनिश्चित करने के लिए इस मामले की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के किसी सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए।"

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