25 सीटों का सवाल, केजरीवाल ने एक तीर से साधे दो निशाने; रघुविंदर शौकीन को इसलिए कैबिनेट में जगह
आप के प्रमुख चेहरे में से एक रहे कैलाश गहलोत का पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाना दिल्ली सरकार के लिए बड़ा झटका है। नजफगढ़ से दो बार विधायक रहे गहलोत आप सरकार में बीते सात साल से मंत्री रहे हैं। उनके जाने से लगभग 25 सीटों की लड़ाई दिलचस्प हो गई है।
आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख चेहरे में से एक रहे कैलाश गहलोत का पार्टी छोड़कर बीजेपी में जाना दिल्ली सरकार के लिए बड़ा झटका है। नजफगढ़ से दो बार विधायक रहे गहलोत आप सरकार में बीते सात साल से मंत्री रहे हैं। उनके जाने से दिल्ली देहात क्षेत्र में लगभग 25 सीटों के लिए दोनों दलों के बीच लड़ाई दिलचस्प हो गई है। दिल्ली देहात क्षेत्र में 100 से ज्यादा गांव आते हैं। जहां गुर्जर और जाट जनसंख्या का दबदबा है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में कुछ महीने पहले गहलोत के जाने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
हालांकि आप ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है। जाट नेता गहलोत के जाने से हुए नुकसान की भरपाई करते हुए पार्टी में उनकी जगह रघुविंदर शौकीन को कैबिनेट में शामिल किया है। जाट समुदाय के शौकीन नांगलोई से दो बार आप विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा सोमवार को ही कांग्रेस नेता और मटियाला के पूर्व विधायक सुमेश शौकीन पार्टी संयोजक केजरीवाल की मौजूदगी में आप में शामिल हो गए।
एक तीर से दो निशाने
केजरीवाल ने गहलोत की जगह शौकीन को कैबिनेट में शामिल करने की मंजूरी देकर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला, उन्होंने दिल्ली देहात के जाट नेता को कैबिनेट में जगह दी है, जो गहलोत के जाने के बाद खाली हुई थी। दूसरा, उन्होंने पार्टी छोड़कर जाने वालों को संदेश दिया कि उनकी जगह लेने के लिए पार्टी में नेता मौजूद हैं। वहीं आप का कहना है कि गहलोत के जाने से अगले साल फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
किन सीटों पर पड़ सकता है असर
दिल्ली देहात में, राजधानी के ग्रामीण इलाकों की 20 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। यह पहले बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट का हिस्सा थे। इनमें नजफगढ़ शामिल है जहां से गहलोत विधायक हैं। इसके अलावा नांगलोई, मटियाला, बवाना, बदरपुर, तुगलकाबाद, महरौली, नरेला, सुल्तानपुर माजरा और भलस्वा आदि शामिल हैं। इन निर्वाचन क्षेत्रों में अलग-अलग समुदायों, खास तौर पर जाट और गुर्जरों का दबदबा है। एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने बताया कि 100 से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां जाट और गुर्जरों की अच्छी खासी आबादी है।
बीजेपी-आप में टक्कर
आगामी विधानसभा चुनावों में दिल्ली देहात क्षेत्र पर फिर से कब्जा करने के लिए भाजपा कमर कस रही है। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में, आप ने इनमें से लगभग सभी सीटें जीती थीं। 2020 के विधानसभा चुनावों में भाजपा बदरपुर विधानसभा जीतने में सफल रही, जहां उसके उम्मीदवार रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आप प्रतिद्वंद्वी को करीबी मुकाबले में हराया था। बिधूड़ी अब भाजपा के दक्षिण दिल्ली से लोकसभा सांसद हैं।
2015 से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आप के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने के लिए भाजपा अपने शीर्ष नेताओं जैसे पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी और प्रवेश वर्मा को ग्रामीण दिल्ली की सीटों से मैदान में उतार सकती है। पार्टी नेताओं ने दावा किया कि पार्टी ने ऐसे वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों को मैदान में उतारने की योजना बनाई है, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और जिनके जीतने की संभावना न केवल दिल्ली देहात की सीटों पर, बल्कि सभी 70 निर्वाचन क्षेत्रों में है।
देहात को बनाया दिल्ली का हिस्सा: केजरीवाल
वहीं दूसरी तरफ केजरीवाल ने सुमेश शौकीन के पार्टी में शामिल होने के एक कार्यक्रम में कहा कि आप की कोशिशों ने ग्रामीण दिल्ली को शहर की विकास गाथा का अभिन्न अंग बना दिया है। उन्होंने कहा, 'आप सरकार से पहले ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को ऐसा नहीं लगता था कि वे दिल्ली का हिस्सा हैं। हमने वहां सड़कें, स्कूल, मोहल्ला क्लीनिक, स्टेडियम और अन्य सुविधाएं प्रदान करके ग्रामीण दिल्ली में समान विकास सुनिश्चित किया है।'