जय श्री राम कहो; दिल्ली के इस स्कूल में टीचर्स बच्चों पर बना रहे दबाव, CM आतिशी से तुरंत जांच की मांग
दिल्ली के स्कूल में छात्रों के साथ धर्म के आधार पर उत्पीड़न और भेदभाव सामने आया है। यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी में सर्वोदय बाल विद्यालय का है। यह आरोप तब सामने आए जब वकील और शिक्षा कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने इसे लेकर मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा।
दिल्ली के स्कूल में छात्रों के साथ धर्म के आधार पर उत्पीड़न और भेदभाव सामने आया है। यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंद नगरी में सर्वोदय बाल विद्यालय का है। यह आरोप तब सामने आए जब वकील और शिक्षा कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने इसे लेकर मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखा। उन्होंने सीएम से मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच समिति के गठन का अनुरोध किया है।
तुरंत कराएं जांच
पत्र के अनुसार छात्रों ने आरोप लगाया है कि दो शिक्षक 'मुस्लिम समुदाय के छात्रों को लगातार परेशान करते हैं, उन्हें 'जय श्री राम' बोलने के लिए मजबूर करते हैं, बाथरूम में बिना कपड़ों के उन्हें पीटते हैं और उन्हें आत्महत्या के लिए भी उकसाते हैं।' सीएम को लिखे पत्र में आगे कहा गया है, 'इस मामले को पिछले शिक्षा निदेशक के संज्ञान में लाया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ और स्थिति जस की तस बनी हुई है। बिना तारीख वाले पत्र में लगाए गए कथित आरोप बहुत गंभीर प्रतीत होते हैं और इस मामले में तत्काल जांच और आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।' दिल्ली सरकार ने इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया।
नमस्ते नहीं जय श्रीराम कहो
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, अग्रवाल के पत्र में छात्रों की ओर से एक विस्तृत शिकायत भी शामिल है, जिसे मुख्यमंत्री के अलावा उपराज्यपाल, शिक्षा विभाग के निदेशक और अन्य संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है। शिकायत में छात्रों ने खास तौर पर दो शिक्षकों का नाम लिया है। अपने पहले के पत्र में छात्रों के समूह ने इस बात पर जोर दिया है कि कैसे उन्होंने 2023 में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की थी, तब एक शिक्षक ने उन्हें ‘नमस्ते’ के बजाय ‘जय श्री राम’ के जरिए शिक्षक का अभिवादन करने का निर्देश दिया था।
छात्रों ने आगे आरोप लगाया कि ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा के कुछ छात्र जो कुछ खास धार्मिक और जाति समुदायों से हैं, उन्हें जानबूझकर अलग-थलग करते हुए क्लास पीछे बैठा दिया गया। स्कूल के एक छात्र ने दावा किया,'एक टीचर अक्सर पाठ के दौरान विषय से भटककर धर्म पर चर्चा करते हैं, और दावा करते हैं कि एक धर्म दूसरे धर्मों से श्रेष्ठ है। वह अपने राजनीतिक विचार भी व्यक्त करते हैं और हमें नीचा दिखाते हैं। हमें सिलेबस के अनुसार पढ़ाने के बजाय, वह अपना समय धार्मिक और राजनीतिक टिप्पणियों में खर्च करते हैं।'