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मैंने 100 सिखों को मारा;जगदीश टाइटलर के कबूलनामे की कौन सी CD पहुंची दिल्ली कोर्ट

  • साल 1984 के सिख विरोधी दंगे के आरोपी पूर्व कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर से जुड़ा एक कबूलनामा दिल्ली की अदालत पहुंचा है। स्टिंग ऑपरेशन के रूप में कोर्ट की चौखट तक पहुंचे इस कबूलनामे में दावा है कि जगदीश टाइटलर ने यह माना है कि उन्होंने 1984 में 100 सिखों की हत्या की थी।

Utkarsh Gaharwar लाइव हिन्दुस्तान, दिल्लीMon, 21 April 2025 04:17 PM
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मैंने 100 सिखों को मारा;जगदीश टाइटलर के कबूलनामे की कौन सी CD पहुंची दिल्ली कोर्ट

साल 1984 के सिख विरोधी दंगे के आरोपी कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर से जुड़ा एक कबूलनामा दिल्ली की अदालत पहुंचा है। स्टिंग ऑपरेशन के रूप में कोर्ट की चौखट तक पहुंचे इस कबूलनामे में दावा है कि जगदीश टाइटलर ने यह माना है कि उन्होंने 1984 में 100 सिखों की हत्या की थी। हालांकि टाइटलर के वकील ने इसे कोर्ट के सामने झूठा बताया है। स्टिंग ऑपरेशन की यह सीडी दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने सीबीआई को दी थी। यह स्टिंग ऑपरेशन साल 2012 में किया गया था।

सीनियर वकील एच.एस.फुल्का ने आज इस स्टिंग के बारे में बताया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 1984 के सिख नरसंहार के दौरान पुल बंगश गुरुद्वारा में 3 सिखों की हत्या के मामले में जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामला आज सूचीबद्ध किया गया था। डीएसजीएमसी के पूर्व अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने सीबीआई को एक स्टिंग ऑपरेशन भेजा था। इस स्टिंग ऑपरेशन में जगदीश टाइटलर ने स्वीकार किया था कि उन्होंने 100 सिखों को मारा है और मैं बहुत शक्तिशाली हूं।

फुल्का ने आगे कहा कि यह स्टिंग ऑपरेशन 2012 का है। आज,उस सीडी को अदालत में चलाया गया और यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जगदीश टाइटलर कह रहे हैं कि उन्होंने 100 सिखों को मारा। जगदीश टाइटलर के वकील यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि स्टिंग ऑपरेशन जगदीश टाइटलर का नहीं है। हमें विश्वास है कि मंजीत सिंह जीके के बयान के बाद जगदीश टाइटलर भी सलाखों के पीछे होंगे।

अदालत ने पिछले साल 13 सितंबर को जगदीश टाइटलर पर हत्या और अन्य अपराधों के आरोप तय किए थे। एक गवाह ने अदालत में बताया कि 1 नवंबर 1984 को टाइटलर एक सफेद कार से गुरुद्वारे के सामने आए और उन्होंने भीड़ को सिखों के खिलाफ भड़काया,जिसके चलते हत्याएं हुईं। जगदीश टाइटलर को बाकी शर्तों के साथ मामले से जुड़े सबूतों के साथ छेड़छाड़ न करने या कोर्ट की अनुमति के बिना देश न छोड़ने का निर्देश दिया गया था।

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