कमरे में रखा नजरबंद, पुलिस ने किए अत्याचार; 25 दिन बाद डासना मंदिर लौटे यति नरसिंहानंद का आरोप
गाजियाबाद के डासना शिवशक्ति धाम के यति नरसिंहानंद गिरी 25 दिन बाद मंगलवार देर रात मंदिर लौटे। उनका कहना है कि उत्तराखंड में एक कमरे में नजरबंद रखा गया। मंगलवार रात पुलिस ने उन्हें यूपी-उत्तराखंड के बॉर्डर पर छोड़ा।
गाजियाबाद के डासना शिवशक्ति धाम के यति नरसिंहानंद गिरी 25 दिन बाद मंगलवार देर रात मंदिर लौटे। उनका कहना है कि उत्तराखंड में एक कमरे में नजरबंद रखा गया। मंगलवार रात पुलिस ने उन्हें यूपी-उत्तराखंड के बॉर्डर पर छोड़ा। मंदिर पहुंचने के बाद यति ने आरोप लगाया कि नजरबंदी में उन पर और शिष्यों पर पुलिस ने अत्याचार किए। 29 सितंबर को विवादित बयान के बाद पांच अक्तूबर से यति नरसिंहानंद लापता थे।
यति के शिष्य अनिल यादव का आरोप है कि पुलिस चार अक्तूबर की रात महंत को सुरक्षित स्थान पर रखने की बात कहकर ले गई थी। वापस लौटने के बाद बुधवार को डासना मंदिर पहुंचे यति नरसिंहानंद गिरी का कहना है कि वह दो दिन तक पुलिस लाइन में रखे गए। इसके बाद में उन्हें उत्तराखंड ले जाया गया। वहां पर उन्हें एक बिल्डिंग में नजरबंद कर रखा गया।
इससे पहले यति नरसिंहानंद गिरि ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी कर योगी आदित्यनाथ सरकार से उन्हें ‘अवैध हिरासत’ से रिहा करने की मांग की थी, ताकि वह अपने खिलाफ दायर जनहित याचिका का जवाब दे सके। महाराष्ट्र स्थित हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव मोहम्मद यूसुफ ने दो दिन पहले उनके खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।
नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन की महासचिव डॉ. उदिता त्यागी ने मीडिया के साथ वीडियो शेयर किया था। नरसिंहानंद ने वीडियो में दावा किया था कि 'प्रशिक्षित हत्यारों' के जरिए उनकी हत्या कराई जा सकती है। उन्होंने कहा था कि मरने से पहले वह पैगंबर पर अपने बयान को स्पष्ट करना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें प्रामाणिक इस्लामी पुस्तकों से साक्ष्य एकत्र करने की जरूरत है।
नरसिंहानंद पर 29 सितंबर को गाजियाबाद में एक कार्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करने के लिए घृणास्पद भाषण देने का मामला दर्ज किया गया था, जिसके बाद व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था।