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वक्फ को लेकर सड़कों पर टकराव, मुस्लिमों के प्रदर्शन के पास पहुंचे हिंदू संगठनों के लोग

  • हिन्दू प्रदर्शनकारियों ने ना सिर्फ मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के सामने हनुमान चालीसा का पाठ किया बल्कि सड़क पर बैठकर जय श्री राम के नारे भी लगाए।

Aditi Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 17 March 2025 01:16 PM
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वक्फ को लेकर सड़कों पर टकराव, मुस्लिमों के प्रदर्शन के पास पहुंचे हिंदू संगठनों के लोग

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मंगलवार वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरने का आयोजन किया है। इसमें विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसद शामिल है। एआईएमएम के अध्यक्ष असद्दुद्दीन ओवैसी भी इस दौरान जंतर-मतर में शामिल है। इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ अब हिंदू सगंठन के लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। इस दौरान हिन्दू प्रदर्शनकारियों ने ना सिर्फ मुस्लिम संगठनों के विरोध प्रदर्शन के सामने हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही बल्कि सड़क पर बैठकर जय श्री राम के नारे भी लगाए।

मेरठ के एक हिंदू कार्यकर्ता सचिन सिरोही ने कहा, देश संविधान से चलेगा। विपक्ष यह क्या नाटक कर रहा है? उन्हें सरकार की बात सुननी चाहिए। हमें उम्मीद है कि पीएम मोदी और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी जी यह कानून लाएंगे।

वहीं भाजपा नेता प्रदीप भंडारी ने विरोध प्रदर्शन पर कहा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साबित कर दिया है कि वह कांग्रेस की बी टीम है और यह भी साफ कर दिया है कि वह भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा है। वक्फ (संशोधन) अधिनियम किसानों, गरीब मुसलमानों और दलितों के अधिकारों और बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को लागू करने के बारे में है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि सड़क पर धरना देना असंवैधानिक है, और कानून किसी भी असंवैधानिक काम से कानूनी रूप से निपटेगा।

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं।

उनके मुताबिक, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को करीब पांच करोड़ मुसलमानों ने ई-मेल के माध्यम से अपनी राय बताई, लेकिन सबकुछ नजरअंदाज कर दिया गया।उन्होंने इस बात को दोहराया कि यह विधेयक पारित हुआ, तो राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा। माना जा रहा है कि सरकार मौजूदा सत्र (बजट सत्र का दूसरा चरण) में यह विधेयक संसद में पेश कर सकती है।

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