यमुना प्रदूषण पर HC ने की अधिकारी की खिंचाई, कहा-शायद आप अकेले हैं जो ऐसा सोचते हैं; जानिए वजह
- अदालत ने कहा कि छठ पूजा की तस्वीरें देखिए, जहां महिलाएं पानी में पूजा कर रही थीं। जहरीले झाग की मात्रा देखिए। एक महिला पानी के जहरीले झाग को शैम्पू समझ रही थी। आपकी कोशिशें दिखती क्यों नहीं?
हाई कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्य सचिव को फटकार लगाते हुए अदालत के सामने सुंदर तस्वीर पेश करने के बजाय उन अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने को कहा, जो शहर में समय पर नालों की सफाई नहीं होने के लिए जिम्मेदार हैं और जिनके कारण आगे चलकर इन नालों में जलभराव हुआ था।
साथ ही अदालत ने यमुना नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के उत्सर्जन का उचित प्रबंधन करने में विफल रहने के लिए दिल्ली सरकार की भी खिंचाई की और कहा कि उसके सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं और उनमें काफी ज्यादा गड़बड़ है। अदालत ने कहा कि यमुना दिल्ली तक साफ है और फिर यहां आकर यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है।
कोर्ट बोला- कुछ तो गड़बड़ है
कोर्ट ने कहा, 'कुछ तो बड़ी गड़बड़ है। एसटीपी काम नहीं कर रहे हैं। उनकी निगरानी कौन कर रहा है? यमुना दिल्ली तक तो साफ आती है, फिर ITO और कश्मीरी गेट, ISBT पर यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। यह औद्योगिक कचरे के कारण है।'
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव धर्मेंद्र के कार्यालय की ओर से दोनों जजों की पीठ के सामने नालों की सफाई और आवासीय क्षेत्रों में प्रदूषण फैलाने वाले अनधिकृत उद्योगों पर कार्रवाई करने सहित विभिन्न मुद्दों पर उठाए जा रहे कदमों पर एक वर्चुअल प्रेजेंटेशन भी दिया गया।
रिपोर्ट पेश करने वाले अधिकारी ने दावा किया कि पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है तथा अगले तीन महीनों में इसमें और सुधार होगा, क्योंकि कई परियोजनाएं पूरी होने वाली हैं, इस पर पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जमीनी स्तर पर जाना चाहिए तथा वास्तविकता जानने के लिए जनता से बात करनी चाहिए।
‘आप अकेले होंगे जो ऐसा सोचते हैं’
अदालत ने कहा कि 'अगर इतने सारे कदम उठाए जा रहे हैं, तो हालात सुधरने चाहिए। छठ पूजा की तस्वीरें देखिए, जहां महिलाएं पानी में पूजा कर रही थीं। जहरीले झाग की मात्रा देखिए। एक महिला पानी के जहरीले झाग को शैम्पू समझ रही है। हम सभी शहर में रहते हैं। हम अच्छी तरह जानते हैं कि यह क्या है। अगर आपको लगता है कि गुणवत्ता में सुधार हो रहा है, तो आपको शुभकामनाएं। आप शायद अकेले व्यक्ति हैं जो ऐसा सोचते हैं।'
कोर्ट ने यह भी कहा कि उसी दिल्ली सरकार ने कहा है कि यमुना अत्यधिक प्रदूषित है और वे लोगों को नदी के किनारे छठ पूजा करने की अनुमति नहीं दे सकते। अदालत ने पूछा, 'आपके डेटा में जमीनी हकीकत से इतना अंतर कैसे है।'
'आप हमें गुलाबी तस्वीर मत दिखाओ'
इसके बाद पीठ ने सुनवाई में वर्चुअली मौजूद मुख्य सचिव से कहा,'यह एक गुलाबी तस्वीर है जो आपके अधिकारी पेश कर रहे हैं। अगर यही स्थिति होती, तो इस साल दिल्ली में बाढ़ नहीं आती। आप न्यायालय और जनता को गुमराह नहीं कर सकते।' साथ ही कोर्ट ने मुख्य सचिव सेनिर्धारित समय सीमा के भीतर गाद निकालने का काम पूरा नहीं करने वाले लापरवार अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने को कहा।
अदालत दिल्ली में जलभराव की समस्या और बारिश के पानी को जमीन में भेजने के बारे में स्वतः संज्ञान लेते हुए दो याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी, साथ ही वकीलों सहित दिल्ली के कई लोगों की उन याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही थी, जिनमें बारिश के बाद जलभराव और सीवेज नालियों के कारण सड़कों, घरों और कार्यालयों में जलभराव की समस्या बताई गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी.एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘दिल्ली में अनाधिकृत औद्योगिक इकाइयों की निगरानी कौन कर रहा है? पानी इतना जहरीला नहीं हो सकता है।’
पीठ ने मुख्य सचिव से शहर की स्थिति में सुधार के लिए कुछ अलग सुझाव देने को भी कहा, जिस पर अधिकारी ने कहा कि, 'हां हम अपना दिमाग लगाएंगे और कुछ जरूर करेंगे।'
पीड़ित नागरिकों की ओर से पेश हुए वकीलों ने दावा किया है कि मॉनसून के मौसम की शुरुआत से पहले उनके क्षेत्र में नालों की सफाई नहीं की गई थी और जब कुछ क्षेत्रों में अधिकारियों द्वारा यह काम किया गया, तो कीचड़ सड़क पर छोड़ दिया गया, जो ताजा बारिश के बाद वापस नाले में बह गया। कुछ वकीलों ने दावा किया कि डिफेंस कॉलोनी, मालवीय नगर और महारानी बाग में उनके दफ्तरों में इस हद तक पानी भर गया कि उनके प्रिंटर और कंप्यूटर क्षतिग्रस्त हो गए और फर्नीचर और रेफ्रिजरेटर पानी में तैरने लगे।
कोर्ट ने कोटला मुबारकपुर और गढ़ी गांव में बाढ़ के मुद्दे पर भी सुनवाई की। अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर एक आदेश पारित करेगी और इसमें सरकार की रिपोर्ट को भी शामिल करेगी ताकि विवरण सार्वजनिक डोमेन में आ सके। मामले की अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।