Hindi Newsएनसीआर न्यूज़गुड़गांवThe pond will be rejuvenated in the name of Guru Dronacharya in Bhim Nagar

भीम नगर में गुरु द्रोणाचार्य के नाम से तालाब की होगी कायाकल्प

गुरुग्राम। भीम नगर स्थित गुरु द्रोणाचार्य के नाम से तालाब की कायाकल्प को सरकार...

Newswrap हिन्दुस्तान, गुड़गांवSat, 17 April 2021 03:00 AM
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गुरुग्राम। भीम नगर स्थित गुरु द्रोणाचार्य के नाम से तालाब की कायाकल्प को सरकार की सहमति मिल गई है। अब भव्य तरीके से इस तालाब को विकसित किया जाएगा। शहर का यह एक ऐतिहासिक स्थल होगा। लंबे समय से इसकी मांग भी उठ रही थी। यह जानकारी विधायक सुधीर सिंगला ने दी। उन्होंने कहा कि गुरु द्रोणाचार्य की नगरी गुरुग्राम में उनकी याद में यह स्मारक भव्य होगा।

विधायक ने बताया कि वह हरियाणा विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया था, जिस पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विशेष ध्यान देने का भरोसा दिया था। अब उन्होंने इस बात पर सहमति जता दी है कि गुरु द्रोणाचार्य के नाम से इस तालाब को भव्य रूप दिया जाएगा। यह उनकी कर्मस्थली है। विधायक ने कहा कि भीम नगर में इस तालाब पर लोगों ने बहुत कब्जा कर रखे हैं। इसकी शिकायतें पहले भी शासन-प्रशासन के पास पहुंची है।

80 में से मात्र 70 एकड़ जमीन पर कब्जा:

वेद प्रचार मंडल की ओर से भी इस बारे में विधायक को मांग पत्र दिया गया था। करीब 80 एकड़ जमीन में से मात्र 8-10 एकड़ जमीन ही बची हुई है। बाकी जमीन पर कब्जे कर लिए गए हैं। नगर निगम अधिकारियों को कब्जे हटाने के निर्देश दे दिए गए हैं। जिससे इस जगह को विकसित करने में कोई समस्या न आए। यहां शिवरात्रि व सोमवार को श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते थे। विधायक ने विश्वास दिलाया कि भविष्य में इससे भी बेहतर तस्वीर यहां की होगी। गुरू द्रोणाचार्य गुरुग्राम का गौरव हैं। उनके नाम से यहां पर किसी भी स्थल की कमी महसूस की जा रही थी। अब वह कमी दूर हो जाएगी।

द्रोणाचार्य की तपोस्थली को जीवांत करेंगे:

सुधीर सिंगला ने कहा कि गुरु द्रोणाचार्य की यह पावन कर्मस्थली, तपोस्थली है। उन्होंने कौरवों, पांडवों को यहां अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा दी थी। उस समय में इस तालाब का जल बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता था। यह तालाब पुरातत्व महत्व भी रखता है और आस्था का भी प्रतीक है। गुड़गांव गांव के आसपास के क्षेत्रों से बरसाती पानी इसी तालाब में एकत्रित होता था। भू-जल के हिसाब से यह बहुत लाभकारी था। जैसे जनसंख्या बढ़ती गई, लोगों ने इस पवित्र तालाब पर कब्जे करने शुरू कर दिए। तालाब की पाल पर एक शिवालय व धर्मशाला के कुछ कमरे बने हुए थे।

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